जोशीमठ:साल 2013 में पूरे देश ने केदारनाथ में आई प्राकृतिक आपदा का तांडव देखा था. केदारनाथ आपदा के बाद भी समय-समय पर उत्तराखंड में बारिश और भूस्खलन अपना कहर बरपाती रही है. मौजूदा समय में जोशीमठ एक नई आपदा का केंद्र बना हुआ है. भू-धंसाव से जमीन में आई दरार और घरों का नीचे की तरफ झुकना जोशीमठ में खतरा पैदा कर रही है. जिसकी वजह से नृसिंह मंदिर में रखा बदरीनाथ के अरबों रुपये के खजाने पर संकट के बादल मंदरा रहे हैं. जिसको लेकर सरकार और बदरी केदार मंदिर समिति वैकल्पिक व्यवस्था करने की तैयारी कर रही है.
आपदा की जद में जोशीमठ: जोशीमठ का एक हिस्सा आपदा की जद में है. ऐसे में भगवान विष्णु के धाम बदरीनाथ के खजाने को लेकर पहले से ही चिंताएं सामने आने लगी है. यह चिंता इसलिए भी है कि अगर जोशीमठ में और हालात खराब हुए तो कहीं ऐसा ना हो कि भगवान बदरीनाथ का करोड़ों अरबों रुपए का खजाना पहाड़ के नीचे दब जाए. यही कारण है कि अब सरकार और मंदिर समिति इसको लेकर वैकल्पिक व्यवस्था कर रही है.
नृसिंह मंदिर में बदरीनाथ का खजाना: दरअसल जब चारों धामों के कपाट बंद होते हैं, तब भगवान केदारनाथ और बदरीनाथ का पूरा खजाना मंदिर से हटाकर नीचे सुरक्षित स्थानों पर लाया जाता है. केदारनाथ के खजाना की व्यवस्था जहां ऊखीमठ में होती है. वहीं, बदरीनाथ धाम का पूरा खजाना जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में आ जाता है. नृसिंह मंदिर में यह तब तक रखा रहता है, जब तक भगवान बदरीनाथ के कपाट नहीं खुल जाते. ऐसे में इस खजाने की सुरक्षा के लिए अलग से व्यवस्था की जाती है.
बदरीनाथ के खजाने पर संकट: अब मंदिर समिति को यह डर सता रहा है कि जिस तरह से जोशीमठ के घरों में दरारें आ रही हैं. कहीं ऐसा ना हो कि कल के दिन अचानक से नृसिंह मंदिर के लॉकर रूम तक यह दरारें पहुंच जाए. जिसकी वजह से सालों से रखा भगवान बदरीनाथ का खजाना कहीं संकट में ना जाए. इसको लेकर बाकायदा मंदिर समिति ने संबंधित विभागों, पुलिस और सरकार को पत्र लिखा है. जिसमें इस बात की आशंका जताई गई है कि भगवान बदरी विशाल का खजाना कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए.
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