थरालीः चमोली जिले में बढ़ता पलायन चिंताजनक बनता जा रहा है. सीमांत जनपद में हो रहे पलायन को लेकर सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं, लेकिन अब एक स्थानीय युवक ने पलायन को रोकने की एक अनोखी पहल शुरू की है. भले ही लोग रोजगार की तलाश के लिए गांव से पलायन कर चुके हों, लेकिन अब सीमांत जनपद चमोली के ल्याणी गांव निवासी मोहन सिंह बिष्ट ने मत्स्य पालन के जरिए पलायन को रोकने की एक अनोखी मिसाल कायम की है.
उत्तराखंड के तमाम गांव पलायन की ओर बढ़ रहे हैं. वहीं अब पलायन को रोकने की एक नई मिसाल साबित होते दिख रही है. देवाल विकासखंड के दूरस्थ क्षेत्र ग्राम ल्वाणी में जंगली जानवरों द्वारा मत्स्य बीजों व तालाबों को पहुंचाई जा रही क्षति को रोकने के लिए तारबांड किये जाने की जिला प्रशासन से मांग की है.
मुख्य विकास अधिकारी ने अगले वित्तीय वर्ष में इसके लिए जिला योजना व अन्य योजनाओं में सुरक्षात्मक उपायों का आश्वासन दिया है. ल्वाणी के युवा काश्तकार मोहन सिंह बिष्ट ने जिला प्रशासन को बताया कि उन्होंने गांव के पास बहने वाले सदाबहार नाले में सरकारी सहायता से बड़ी मेहनत के साथ मत्स्य तालाबों का निर्माण कर उनमें ट्राउड मछलियों का उत्पादन शुरू किया है, जिसमें अपेक्षित सफलता भी मिल रही हैं.
वर्तमान में इन तालाबों में 500 से अधिक मछलियां हैं. मछली पालन में मिल रही सफलता को देखते हुए ल्वाणी सहित आस-पास के गांवों के काश्तकार भी मछली पालन की ओर आकर्षित हो रहे हैं.