दिल्ली/देहरादून: मकानों और जमीन में दरारें पड़ने के बाद उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में जिस तरह के हालात बने हुए हैं, उससे सभी लोग डरे हुए हैं. राज्य के साथ केंद्र सरकार भी जोशीमठ की सभी गतिविधियों पर नजर रखे हुए है. इसी क्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, भूपेंद्र यादव, गजेंद्र शेखावत के साथ-साथ सेना के अधिकारी मौजूद रहें. वहीं, चमोली से वर्जुअली मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी जुड़े. सीएम धामी ने जोशीमठ में चल रहे राहत और बचाव कार्यों के अपडेट गृह मंत्री अमित शाह को दिए. इस दौरान जोशीमठ में जमीन धंसने के मद्देनजर सड़कों, बिजली आपूर्ति, पानी की कमी और पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई.
बैठक से जुड़े अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताया कि शाह ने सभी केंद्रीय मंत्रालयों से युद्धस्तर पर जोशीमठ को सभी आवश्यक मदद देने को कहा है. कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने बैठक में जानकारी दी है कि सभी केंद्रीय एजेंसियां बचाव और राहत कार्य जारी रखे हुए हैं. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सभी मंत्रालयों से कहा गया है कि वो जोशीमठ में भू-धंसाव के प्रभाव का अपना व्यक्तिगत आंकलन करें.
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गृह मंत्री के आवास पर करीब 40 मिनट तक चली बैठक में गृह सचिव अजय भल्ला सहित गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. शाह ने स्थिति का जायजा लिया और बैठक में राहत और बचाव के उपाय करने का निर्देश दिए. बैठक में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे. इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से IIT रुड़की, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के विशेषज्ञ भी शामिल हुए.
इस बैठक में गृह मंत्री को बताया गया कि जिला प्रशासन प्रभावित परिवारों को खाली कराने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए भोजन, आश्रय और सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था के साथ काम कर रहा है. अबतक 720 से अधिक भवनों की पहचान की जा चुकी है, जिनमें दरारें पड़ गई हैं. पुनर्वास के एक हिस्से के रूप में निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. यहां तक कि भूवैज्ञानिक और विशेषज्ञ पारिस्थितिक रूप से नाजुक क्षेत्र में धंसने के कारणों का पता लगाने के लिए कार्य कर रहे है.
गृह मंत्री को बताया गया कि अधिकारियों ने क्षेत्र में निर्माण परियोजनाओं को रोक दिया है और सरकार ने घटना और अचानक संकट से उत्पन्न स्थिति को देखने के लिए एक समिति का गठन किया है. वहीं, उत्तराखंड सरकार ने भी अधिकारियों को आदेश दिये हैं कि उन इमारतों का सर्वेक्षण किया जाए जो आसपास के भवनों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं.
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इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ के प्रभावित परिवारों के लिए 45 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की भी घोषणा की है. प्रभावित लगभग 3,000 परिवारों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की गई है. मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की है कि राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा प्रत्येक परिवार को उनके सामान के परिवहन और तत्काल जरूरतों के लिए वन टाइम स्पेशल ग्रांट के रूप में 50,000 रुपये दिए गए हैं.
बता दें कि जोशीमठ में लगातार दरारें चौड़ी होती जा रही हैं, जिससे वहां डर का माहौल बना हुआ है. 700 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं. असुरक्षित भवनों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है. जोशीमठ में हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार रात से चमोली में ही अपना डेरा डाल रखा है.
जोशीमठ न सिर्फ धार्मिक और ऐतिहासिक शहर है, बल्कि सामारिक दृष्टि से भी ये शहर काफी महत्वपूर्ण है. दरअसल, जोशीमठ सीमांत तहसील है. यहां पर सेना और आईटीबीपी का बेस मुख्यालय भी है. इसके अलावा ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-7) पर स्थित जोशीम से ही हिंदुओं के प्रमुख धाम बदरीनाथ, सिखों के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हेमकुंड साहिब और चीन बॉर्डर के लिए रास्ता जाता है. साथ ही पर्यटन स्थल- औली और फूलों की घाटी जाने वाले लोगों के लिए ये स्थान रात भर का पड़ाव है. इसलिए जोशीमठ शहर को बचाना सरकार के लिए बहुत जरूरी है. यही कारण है कि केंद्र भी राज्य सरकार से लगातार जोशीमठ का अपडेट ले रहा है.
बता दें कि सरकार ने असुरक्षित भवनों को तोड़ने का फैसला लिया है. सबसे पहले जोशीमठ में दो बड़े होटल तोड़े गए हैं. उसके बाद अन्य असुरक्षित भवनों को तोड़ने की कार्रवाई की जाएगी. वहीं, केंद्रीय संस्थानों के विशेषज्ञों की टीम लगातार जोशीमठ में जमीन और मकानों में आई दरारों का अध्ययन कर रही है, ताकि इस दरारों की असली वजह का पता चल सके. वहीं वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक जोशीमठ में आई दरारों की गहराई का पता लगाने में जुटे हुए हैं. साथ ही वाडिया के वैज्ञानिक इसका भी पता लगाने में जुटे हुए हैं कि दरारों की चौड़ी होने की रफ्तार क्या है और जोशीमठ को किस तरह बचाया जा सकता है. जोशीमठ के साथ-साथ उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी और कर्णप्रयाग सहित उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों से भी भू-धंसाव की ऐसी ही घटना की सूचना मिल रही है.