चमोली: उत्तराखंड के जोशीमठ में आई आपदा ने एक बार फिर से 2013 की डरा देने वाली यादों को ताजा कर दिया है. रविवार को रैणी और तपोवन में आई आपदा का कितने लोग शिकार हुए हैं अभीतक इसके सही आंकड़े नहीं मिल पाए हैं, लेकिन सरकार ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक अबतक 35 लोगों के शव मिल चुके हैं और 160 से ज्यादा लोग लापता है. अपनों की तलाश की आस में लापता लोगों के परिजन तपोवन और ऋषिगंगा पहुंचे रहे हैं. इस हादसे में रैणी गांव के भी दो लोग लापता है, जिनका परिवार उनकी खोज कर रहा है.
रंजीत के कंधों पर था पूरे घर का भार
रैणी गांव निवासी रंजीत रविवार सुबह आठ बजे अपने घर से ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पर काम के लिए निकले थे. रंजीत का घर पावर प्रोजेक्ट के मात्र 500 कदम की दूरी पर है, लिहाजा नाश्ता करने के बाद रंजीत सुबह-सुबह प्लांट पर पहुंच गए थे. हालांकि, वैसे तो रंजीत घर के छोटे बेटे हैं, लेकिन पूरे परिवार का जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है, जो इस आपदा के बाद से लापता हैं. रंजीत के पिता और बड़े भाई दिव्यांग हैं.
रैणी गांव के लोगों ने देखा तबाही का मंजर. रंजीत के भाई बताते हैं कि रोज की तरह रविवार को भी उनका भाई घर से काम पर जाने के लिए निकला था, लेकिन तभी अचानक से धुएं का गुबार और तेज बादल फटने की आवाज आई. उन्होंने प्लांट की तरफ देखा तो उनके होश उड़ गए. ये सब बताते हुए रंजीत के भाई की आंखें भर आईं. तबतक उन्हें नहीं सोचा था कि ये आपदा इतनी भयावह हो सकती है, जो अपने साथ सब कुछ बहाकर ले जाएगी.
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सैलाब के शोर से डरे रंजित के दिव्यांग पिता और भाई ने जैसे-कैसे घर से जंगल की ओर दौड़ पड़े. सैलाब जाने के बाद भी लोग पहाड़ों से नीचे उतरने से डर रहे थे. प्रशासन टीम ने मौके पर पहुंची तो उन्होंने आसपास के ग्रामीणों को बताया कि पावर प्लांट पूरी तरह से तबाह हो गया है. जैसे ही उन्हें ये खबर मिली उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया.
घंटों गुजर जाने के बाद जब वो नीचे आए तो उन्होंने देखा कि जहां उनका भाई रंजीत काम करता था, उस ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट का नमोनिशान मिट चुका है. रंजीत के भाई कहते हैं कि अब उन्हें कमरे में रहने से भी डर लगता है. लिहाजा सरकार उनकी सहायता करे. घर में कमाने वाला जो भाई था, अब वही चला गया है. अब दिव्यांग पिता और बूढ़ी माता की सेवा कौन करेगा?
गोदावरी की कहानी भी रंजीत के परिवार जैसी
ऐसी की कुछ कहानी है रैणी गांव में रहने वाली गोदावरी की. गोदावरी बताती हैं कि लगभग सुबह 10 बजे का वक्त रहा होगा, जब वह अपने खेत में अपनी सास के साथ काम कर रही थी. उस समय अचानक इतनी तेज मलबा आया और हवा के साथ सब कुछ उड़ाकर ले गया. गोदावरी भी उस हादसे का शिकार हुईं थी. वह बताती है कि उन्हें याद भी नहीं कि वो खेत से हवा के साथ उड़कर कब सड़क पर पहुंच गई और जब उन्होंने पीछे देखा तो मलबा उनकी सास को अपनी चपेट में ले चुका था.
वह बताती हैं कि उन्हें इतना भी वक्त नहीं मिला कि वह अपनी सास को आवाज देकर या खुद चलकर घर तक पहुंच पाती. घंटों सड़क पर बेसुध रहने के बाद गोदावरी किसी तरह से अपने घर पर पहुंचीं.
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गोदावरी कहती हैं कि उस आवाज को याद करके भी बहुत डर लगता है. डर इतना लगता है कि अब न तो अकेले रह जा रहा है और न ही घर के अंदर दरवाजा बंद करके रहने की हिम्मत हो रही है. लिहाजा 4 दिनों से यह परिवार भी या तो घर के बरामदे में सो रहा है या फिर घर की छत पर जागकर रातें गुजार रहा है.
रंजीत का परिवार हो या फिर गोदावरी का. दोनों के परिवार अब इस उम्मीद में बैठे हुए हैं कि उनके परिजन किसी तरह उन्हें मिल जाए. उन्हें यह नहीं मालूम कि उनके परिजन अब इस दुनिया में हैं भी या नहीं. वक्त के साथ दोनों ही परिवारों की उम्मीद टूट रही है. दोनों ही परिवार रोज इसी उम्मीद के साथ घटनास्थल पर जाते हैं कि शायद उनका कुछ पता चल पाए.
पूरा घटनाक्रम
चमोली जिले के जोशीमठ के रैणी गांव और तपोवन में रविवार की सुबह सैलाब ने भयंकर तबाही मचाई थी. इस त्रासदी के कारण बहुत बड़ा नुकसान ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को हुआ है, इस त्रासदी ने इस पूरे प्रोजेक्ट को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया है. बाढ़ की चपेट में आने से राज्य की प्रमुख बिजली एनटीपीसी की एक निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है. वहीं तपोवन टनल में फंसे 30 से ज्यादा मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों के लिए राज्य सरकार चार और केंद्र सरकार दो लाख रुपये की सहयोग राशि देगी. सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव का कार्य कर रहे हैं.