चमोली: एक ओर जहां सरकार शहीदों के घर की मिट्टी कलश में ले जाकर सैन्य धाम का निर्माण कर रही है. शहीदों के नाम पर स्कूल, सड़क का नाम रखा जा रहा है. मेमोरियल बनाकर शहीदों को सम्मान दिया जा रहा है. वहीं, चमोली जिले के थराली विकासखंड के सुनाऊ निवासी पूर्व सैनिक महावीर सिंह भी हैं, जो अपने भाई की शहादत को सम्मान दिलवाने के लिए प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक पत्राचार कर चुके हैं, लेकिन आज तक न तो इन पत्रों का कोई जवाब आया और न ही उनके भाई की शहादत को उचित सम्मान मिला है.
क्या है पूरा मामला: 13 दिसम्बर 1963 में सुनाऊ के रहने वाले केसर सिंह भंडारी भारतीय सेना में भर्ती हुए. केसर सिंह भंडारी अविवाहित थे. भर्ती होने के महज दो साल बाद ही 15 सितंबर 1965 को भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वे शहीद हो गए. उनकी शहादत पर श्रद्धांजलि देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी उनके परिजनों को पत्र भेजते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की थी.
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1965 भारत पाकिस्तान युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए केसर सिंह की शहादत को अब तक सम्मान नहीं मिल पाया है. न तो शहीद के सम्मान में अब तक कोई मेमोरियल बन पाया है और न ही शहीद के नाम पर कोई स्कूल या कोई सड़क अब तक बनी है. केसर सिंह भंडारी के भाई बताते हैं कि वे 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.
वहीं, शहीर केसर सिंह के भाई महावीर सिंह ने दोबारा उपजिलाधिकारी थराली के माध्यम से प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने अपने गांव में शहीद केसर सिंह की स्मृति में मेमोरियल बनवाने की मांग की है. साथ ही सुनाऊ राजकीय इंटर कॉलेज का नाम शहीद केसर सिंह भंडारी के नाम पर रखने की गुहार लगाई है.
शहीद केसर सिंह भंडारी के भाई महावीर भंडारी मेमोरियल के लिए जमीन दान देने तक के लिए तैयार हैं. ताकि उनके भाई की शहादत को सम्मान मिल और उन्हें याद किया जा सके. अब देखना ये होगा कि भारत-पाक युद्ध मे शहीद हुए केसर सिंह की शहादत को सम्मान के लिए इंतजार कब खत्म होता है.