चमोली: रेशम कीट पालन (Sericulture or silk farming) व्यवसाय लोगों की आर्थिकी को मजबूत करने में कारगर साबित हो रहा है. चमोली जिले में काश्तकार कृषि व पशुपालन के साथ रेशम कीट पालन को सहायक कारोबार के तौर पर अपनाकर अपनी आजीविका मजबूत बना रहे हैं. लोगों को इस कारोबार में कम लागत और अच्छा मुनाफा हो रहा है. घर बैठे आसानी से इस व्यवसाय को किया जा सकता है. जिले में अब किसानों का रुझान रेशम कीट पालन की ओर बढ़ने लगा है. कीट पालन के साथ-साथ लोग रेशम कीटों के भोजन के लिए शहतूत की खेती भी कर रहे हैं.
दशोली विकासखंड के बगडवालधार-पाडुली की रहने वाली शांति देवी का कहना है कि वह वर्ष 2000 से रेशम कीट पालन का कार्य कर रही हैं. शुरुआत में शहतूत के पेड़ व कीट पालन सामग्री के अभाव में कुछ परेशानी जरूर रही. लेकिन अब रेशम कीट पालन से काश्तकारों को हजारों रुपये का मुनाफा महीने में हो रहा है. काश्तकार बताते हैं कि रेशम कीट पालन करने वाला एक व्यक्ति करीब 20 किलो तक रेशम बना लेता है.