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Joshimath Sinking: दरारों के रहस्य से पर्दा उठाएगा वाडिया इंस्टीट्यूट! जोशीमठ पर इन खतरों का भी डर

जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर चौतरफा चिंता बनी हुई (land subsidence in Joshimath) है. सरकार से लेकर वैज्ञानिक तक इससे निपटारे का रास्ता खोजने में जुटे हैं. वहीं अब वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology Dehradun) देहरादून के वैज्ञानिक भविष्य के बड़े खतरों को लेकर डरे हुए हैं. इसीलिए वाडिया के वैज्ञानिकों की कोशिश है कि वो समय रहते जोशीमठ के जमीनों में आ रही दरारों का पता लगाकर बड़ी आपदा रोक सकें.

Joshimath Sinking
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Published : Jan 11, 2023, 5:45 PM IST

Updated : Jan 11, 2023, 9:07 PM IST

जोशीमठ में दरारों के रहस्य से पर्दा उठाएगा वाडिया इंस्टीट्यूट.

देहरादून: उत्तराखंड में विकास के नाम पर प्रकृति के साथ जो खिलवाड़ किया गया है, उसी का नतीजा है कि आज एतिहासिक जोशीमठ शहर दरारों में धंसता जा रहा है. राज्य से लेकर केंद्र की तमाम संस्थाएं आज जोशीमठ को बचाने में जुटी हुई हैं. वहीं, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक अब जोशीमठ में आई दरारों की गहराई का पता लगाएंगे. साथ ही इन दरारों के फैलने की रफ्तार का भी पता लगाया जाएगा.

इस वक्त जोशीमठ खतरे के मुहाने पर खड़ा है. जोशीमठ को बचाने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. हालात ये है कि सड़कों और घरों में पड़ी दरारें चौड़ी होती जा रही है. प्रशासन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित कर रहा है. इसके अलावा चरणबद्ध तरीके से असुरक्षित भवनों को गिराने की कार्रवाई भी जारी है. इन सबके बीच वैज्ञानिक जोशीमठ की धरती में हो रही हलचल की असल वजह जानने में लगे हुए हैं.
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जोशीमठ की धरती के भीतर हो रही तमाम गतिविधियों का पता लगाने के लिए हिमालय क्षेत्र में अपने शोध में स्पेशलिटी रखने वाले वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के विशेषज्ञों की टीम लगातार दिन रात जोशीमठ में काम कर रही है. वाडिया के वैज्ञानिक टेक्निकल परीक्षणों की जानकारी वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ कलाचंद साईं को दे रहे हैं, जिसे उन्होंने ईटीवी भारत के साथ शेयर किया.

वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ कलाचंद साईं ने बताया कि वाडिया के वैज्ञानिक सबसे पहले जोशीमठ में पड़ी जमीन के अंदर पड़ी दरारों की गहराई का पता लगाने में जुटे हुए हैं. इसके बाद दूसरा नंबर पर दरारों के फैलने यानी चौड़ी होने की रफ्तार का अध्ययन किया जा रहा है. यह किस अनुपात में बढ़ रही है, जिससे की आने वाले खतरे का भी आकलन किया जा सके.
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भूकंप का भी खतरा: डॉ कालाचंद साईं ने बताया कि हिमालय क्षेत्र में बड़े भूकंप की आशंका लगातार बनी हुई है. वाडिया इस समय जोशीमठ में दो बड़े खतरों को देख रहा है. पहला खतरा भूकंप है, जिसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है कि ये कब आएगा. जोशीमठ भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील क्षेत्र है और जोन पांच में आता है. जोशीमठ में यदि इस समय कोई छोटा सा भी भूकंप आ गया तो उन भवनों को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है, जिनमें दरारें पड़ी हुई हैं.

इसके अलावा दूसरा बड़ा डर बिगड़ते मौसम का है. डॉ कालाचंद साईं की माने तो मौसम बिगड़ने के बाद यदि जोशीमठ में बारिश और बर्फबारी हुई तो ये अच्छा नहीं होगा. क्योंकि बारिश और बर्फबारी के बाद लैंडस्लाइड का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है, जो ऐसे में भी बड़े नुकसान का अंदेशा है.
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जोशीमठ की धरती में दफन राज का पता लगाने के लिए वाडिया के वैज्ञानिक सरफेस इमेज के लिए जियोफिजिकल स्कैन का इस्तेमाल कर रहा है. ताकि धरती के अंदर की छोटी से छोटी हलचल को भी पकड़ा जा सके और धरती के खिसकने की रफ्तार का भी आकलन हो पाएगा. वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक कालाचंद साईं ने बताया कि जोशीमठ में तमाम अध्ययन शॉर्ट और लॉन्ग टर्म पर किए जा रहे हैं. जोशीमठ में भविष्य में होने वाले पुनर्निर्माण को लेकर भी शोध संस्थानों को काफी अध्ययन करना पड़ेगा.

Last Updated : Jan 11, 2023, 9:07 PM IST

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