गैरसैंण:एक ओर सरकार लगातार सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के दावे कर रही है. दूसरी ओर हकीकत इससे कोसों दूर है. प्रदेश के माननीयों व नौकरशाहों के लिए बजट सत्र के दौरान विधानसभा तक पहुंचने के लिए 10 दिन के भीतर ही डबल लेन सड़क को डामरीकरण कर चमका दिया जाता है. वहीं कर्णप्रयाग व पांडुवाखाल से गैरसैंण विधानसभा क्षेत्र के प्रवेश द्वार दिवालीखाल तक बजट सत्र में पहुंचने में माननीयों को कोई दिक्कत न हो वर्षों से सड़कों में बने गड्ढों को सप्ताह भर के भीतर ही पाट दिया जाता है. वहीं दूसरी ओर कई वर्षों से सड़क डामरीकरण की मांग कर रहे ग्रामीण टूटी-फूटी व गड्ढों में तब्दील हो चुकी सड़कों पर जान जोखिम में डालकर रोजाना आवाजाही करने को मजबूर हैं.
कारगिल शहीद के गांव की सड़क खस्ताहाल: जी हां हम बात कर रहे हैं धुनारघाट से कारगिल शहीद कृपाल सिंह के गांव पज्याणा जाने वाले मोटर मार्ग की. कहा जाता है कि गांवों में विकास सड़क मार्ग से पहुंचता है. लेकिन ग्रामीणों की लाइफ लाइन कही जाने वाली इस सड़क की दुर्दशा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास अभी कोसों दूर है. बता दें कि इस जर्जर हो चुके सड़क मार्ग से प्रतिदिन छोटे-छोटे बच्चों के स्कूली वाहनों से लेकर अस्पताल तक पहुंचने वाले बीमार, गर्भवती महिलायें, विद्यालय आने जाने वाले शिक्षक व रोजमर्रा की सामाग्री की खरीदारी करने वाले सैकड़ों ग्रामीण सरकार व संबंधित विभाग की उदासीनता के चलते वाहनों से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं.
2008 से चले अढ़ाई कोस!: बताते चलें कि धुनारघाट से कारगिल शहीद कृपाल सिंह के गांव जाने वाली इस मोटर सड़क के निर्माण (कटिंग) का कार्य पीडब्ल्यूडी द्वारा वर्ष 2008 में हुआ था. वहीं डामरीकरण व अन्य कार्य पीएमजीएसवाई द्वारा वर्ष 2014 में 413.60 लाख की लागत से हुए थे. लेकिन आज इस मोटर मार्ग की हालत बद से बदतर हो चुकी है. सड़क की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारें पहाड़ों के विकास के प्रति कितनी संजीदा हैं. एक ओर जहां सरकार व विभागीय मंत्री गड्ढा मुक्त एप व विकास के बड़े बड़े दावे करती हुई नजर आ रहे हैं, वहीं इन सड़कों की हालत देखकर तो यही लगता है कि सरकार के ये सब दावे खोखले साबित हो रहे हैं.
क्या कहते हैं कारगिल शहीद के पुत्र: कारगिल शहीद कृपाल सिंह के पुत्र अमित रावत ने कहा कि धुनारघाट से पज्याणा जाने वाली सड़क उनके पिता के नाम पर स्वीकृत हुई थी. किंतु आज तक इस सड़क का नाम उनके पिता के नाम पर नहीं किया जा सका है. अमित ने कहा कि लोक निर्माण विभाग गैरसैंण के माध्यम से शासन को भी इस संबंध में पत्राचार किया गया, किंतु अब तक इस मोटर मार्ग का नामकरण उनके पिता के नाम पर नहीं हो पाया है. उन्होंने कहा कि सड़क की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि कभी भी कोई बड़ी अनहोनी घटित हो सकती है. उन्होंने संबंधित विभाग व सरकार से आग्रह किया कि इस मोटर मार्ग का नाम उनके पिता के नाम पर किया जाय व अतिशीघ्र सड़क का डामरीकरण कार्य करवाया जाये.
सड़क की दुर्दशा को लेकर क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि व ग्रामीण: डुंगरी गांव निवासी सुरेशानंद सिरस्वाल बताते हैं कि पांच हजार की आबादी वाले क्षेत्र की इस सड़क पर 2008 में कटिंग का कार्य शुरू हुआ था. 2014 में इस सड़क पर डामरीकरण का कार्य किया गया था जो साल भर में ही उखड़ गया था. किंतु तब से लेकर अब तक इस मोटर मार्ग की सुध लेने वाला कोई नहीं है. उन्होंने कहा कि ढांगा गांव से लेकर कोठार गांव तक विभाग द्वारा कहीं भी पानी निकासी के लिए कलमट नहीं बनाये गये हैं. इससे बरसात के समय सारा पानी सड़क से लेकर घरों व खेतों में आ जाता है. सुरेशानंद ने कहा कि इस मोटर मार्ग पर आये दिन वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहते हैं. उन्होंने सरकार व विभाग से मांग की है कि सड़क के डामरीकरण का कार्य शुरू किया जाये.