चमोली: केदारनाथ और बाबा बदरी विशाल के दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी चमोली जिले में स्थित देश के अंतिम गांव माणा पहुंचे. यहां पीएम ने जनसभा को भी संबोधित किया लेकिन उससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3400 करोड़ रुपये के कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट की सौगात उत्तराखंड को दी. इसमें केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे परियोजनाओं का शिलान्यास भी शामिल है. इसमें माणा और मलारी की दो सीमांत डबल लेन सड़कों का काम भी है. माणा से माणा पास (एनएच-07) और जोशीमठ से मलारी (एनएच107बी) शामिल हैं. इससे पहले प्रधानमंत्री ने केदारनाथ पहुंचकर अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 13 किमी लंबे सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास किया. साथ ही बदरी-केदार में हो रहे निर्माण कार्यों का जायजा भी लिया.
देश का अंतिम नहीं पहला गांव:परियोजनाओं के शिलान्यास के बाद भारत के आखिरी गांव माणा से देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि माणा गांव भारत का अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है लेकिन माणा को देश का पहला गांव कहा जाना चाहिए क्योंकि सीमाओ पर बसा हर गांव उनके लिए देश का पहला गांव ही है. पीएम ने कहा कि, पहले जिन इलाकों को देश के सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से देश की समृद्धि का आरंभ मानकर शुरू किया. यहां तक विकास पहुंचा और अब यहां डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. इसके साथ ही पीएम ने लोगों ने माणा आने का आग्रह किया.
माणा का महत्व: पीएम मोदी ने कहा कि आज से 25 साल पहले उत्तराखंड में बीजेपी के कार्यकर्ता के रूप में मैंने माणा में उत्तराखंड बीजेपी कार्यसमिति की बैठक बुलाई थी. तो मेरे साथी कार्यकर्ता उस समय नाराज हो गए थे. मैंने कार्यकर्ताओं से कहा कि जिस दिन उत्तराखंड बीजेपी के दिल में माणा का महत्व पक्का हो जाएगा. उस दिन उत्तराखंड की जनता के दिल में भाजपा के लिए महत्व बन जाएगा और ये माणा की मिट्टी की ताकत और आशीर्वाद का ही फल है कि आज भाजपा को उत्तराखंड में दोबारा सेवा करने का मौका मिला है.
पीएम मोदी ने कहा कि देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर मैंने लाल किले पर एक आह्वान किया था. ये आह्वान है गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति का. ऐसा इसलिए, क्योंकि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे देश को गुलामी की मानसिकता ने ऐसा जकड़ा हुआ है कि प्रगति का कुछ कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है.
जहां भी घूमने जाएं 5 प्रतिशत स्थानीय उत्पादों पर खर्च करें:प्रधानमंत्री नरेंद्र देश देश के अंतिम गांव माणा में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां की माताओं और बहनों को प्रणाम करता हूं जिस तरह के उत्पाद वह बना रही हैं, उसके लिए वह बधाई की पात्र हैं. मैं उन्हें देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ. इस दौरान पीएम मोदी ने यहां आने वाले यात्रियों से अपील की है कि जब भी आप कहीं भी यात्रा पर जाए वहां के उत्पाद जरूर खरीदें. अपनी यात्रा पर जितना पैसा खर्च करते हैं उसमें से पांच प्रतिशत खर्च भी अगर स्थानीय उत्पादों पर खर्च करेंगे तो ये स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम होगा. उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पाद खरीदने से आपको संतोष होगा और इन सारे क्षेत्रों में इतनी रोजी रोटी मिल जाएगी, आप कल्पना भी नहीं कर सकते.
हमें जिंदा गांव बनाने हैं:प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड काल में कोरोना की वैक्सीन पहाड़ों तक पहुंचाई गई. इसमें उत्तराखंड और हिमाचल में बेहतर काम किया गया. गरीब कल्याण योजना में उत्तराखंड के लाखों लोगों को लाभ मिला. डबल इंजन सरकार ने होम स्टे और स्किल डेवलपमेंट से युवाओं को जोड़ा है. पहाड़ी क्षेत्रों के युवाओं को एनसीसी से जोड़ रहे हैं. विकास कार्यों में तेजी आई है और पर्यटन का विस्तार हो रहा है. इसके साथ ही जल जीवन मिशन से गांवों तक नल से जल पहुंचाया जा रहा है. मल्टी मॉडल कनेक्टीवीटी प्रदान करने के लिये काम किया जा रहा है. सागरमाला, भारतमाला की तरह अब पर्वतमाला परियोजना पर काम होने जा रहा है. रोपवे पर बहुत बड़ा काम होने जा रहा है. बॉर्डर के गांवों में चहल पहल बढ़नी चाहिए. जो कभी गांव छोड़कर गए हैं, उनका वापस लौटने का मन करे, हमें ऐसे जिंदा गांव बनाने हैं.
गुलामी के तराजू पर तौलते हैं विकास कार्य: पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोगों को प्रगति का हर काम अपराध की तरह लगता है. कुछ लोग प्रगति के कार्यों को तराजू पर तौलते हैं. ऐसे लोग अपनी विरासत से विद्वेष रखते हैं.
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धार्मिक स्थलों की हुई उपेक्षा: लंबे समय तक हमारे यहां अपने आस्था स्थलों के विकास को लेकर एक नफरत का भाव रहा है. विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थानों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे. लेकिन, भारत में इस तरह के कार्य को हेय की दृष्टि से देखते थे. आस्था के ये केंद्र सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि हमारे लिए प्राणवायु की तरह हैं. वो हमारे लिए ऐसे शक्तिपुंज हैं, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हमें जीवंत बनाए रखते हैं.
आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के निर्माण के वक्त क्या हुआ, सब जानते हैं. राम मंदिर के इतिहास से भी हम परिचित हैं. गुलामी की इस स्थिति ने हमारे आस्था घरों को जर्जर स्थिति में ला दिया था. सबकुछ तबाह करके रख दिया गया था. दशकों तक हमारे अध्यात्मिक केंद्रों की स्थिति ऐसी थी कि वहां की यात्रा सबसे कठिन यात्रा बन जाती थी. जहां जाना जीवन का सपना हो, लेकिन सरकारें ऐसी थीं कि अपने नागरिकों को वहां तक जाने की सुविधा देने की नहीं सोची. ये अन्याय था कि नहीं? आपका हां का जवाब आपका नहीं 130 करोड़ लोगों का है, इसलिए मुझे ईश्वर का काम सौंपा गया है.