दिल्ली/देहरादून:उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भू-धंसाव को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में जो जनहित याचिका दाखिल की गई थी, उससे वापस ले लिया गया है. न्यायमूर्ति सतीश चंदर शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने दिल्ली के वकील रोहित डंडरियाल की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.
कोर्ट में महाधिवक्ता जतिंदर कुमार सेठी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 16 जनवरी 2023 को इसी तरह की एक अन्य जनहित याचिका के याचिकाकर्ता को उत्तराखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्देश दिया था, क्योंकि यही मामला नैनीताल में उत्तराखंड हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष लंबित था.
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इससे पहले उत्तराखंड सरकार की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि जोशीमठ संकट को लेकर केंद्र और राज्य सरकार गंभीर है. जोशीमठ की सुरक्षा के लिए हर संभव काम किया जा रहा है. उत्तराखंड सरकार के वकील ने कोर्ट बताया कि जोशीठम में एनडीआरएफ और उत्तराखंड एसडीआरएफ को तैनात किया गया है. इसके अलावा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है. प्रभावित परिवारों को पुनर्वास पैकेज भी दिए जा रहे हैं और धरातल पर काम किया जा रहा है.
वहीं, याचिकाकर्ता और वकील रोहित डंडरियाल ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में पिछले कुछ सालों में बेतरतीब तरीके से किए गए निर्माण की वजह से जोशीमठ में आज इस तरह के हालात बन गए हैं. इस तरह गतिविधियों के कारण वहां पर स्थानीय निवासियों के मौलिक अधिकार का उल्लंघन किया है.
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