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नीती गांव की 'बारी'.. सबसे प्यारी, अतिथि देवो भव: की परंपरा हो रही मजबूत

नीती गांव के ग्रामीण आज भी खुले दिल से अतिथियों का स्वागत करते हैं और उनके खाने-पीने की व्यवस्था करते हैं.

Atithi Devo Bhava in Niti village
नीति गांव की 'बारी'

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Published : Jul 7, 2020, 8:56 PM IST

Updated : Jul 7, 2020, 10:43 PM IST

चमोली: भारत के अंतिम और प्राचीन उत्तराखंड का सीमांत नीती गांव होने के कारण इसका अपना प्राचीनतम इतिहास है. चमोली में भारत-चीन सीमा पर स्थित नीती गांव में आज भी अतिथि देवो भव: की परंपरा निभाई जाती है. स्थानीय ग्रामीण गांव में पहुंचने वाले लोगों के सत्कार में किसी भी तरह की कमी नहीं रखते, बल्कि दिल खोलकर अतिथियों का स्वागत करते हैं. नीती गांव में पहुंचने वाले प्रत्येक अतिथियों के स्वागत के लिए गांव के 2 परिवारों को 6 माह के लिए जिम्मेदारी दी जाती है. मौजूदा समय में नीती घाटी में 33 परिवार निवास करते हैं.

भारत-चीन सीमा पर होने के कारण नीती गांव को द्वितीय रक्षा पंक्ति भी कहा जाता है. स्थानीय ग्रामीण सैनिकों के सुख-दुख में हर समय तत्पर रहते हैं. ऐसे में गांव के लिए आज भी अतिथि देवो भव: की परंपरा को निभाने में किसी तरह से पीछे नहीं रहते. दो परिवार नीती गांव में पहुंचने वाले पर्यटकों और सरकारी कर्मचारियों के रहने-खाने का जिम्मा उठाते हैं. इस आवभगत को स्थानीय भाषा में 'बारी' कहा जाता है. इसके साथ ही गांव के मंदिर में पूजा अर्चना के साथ ही अन्य सभी सार्वजनिक व्यवस्थाओं का निर्वहन करने की भी उसी परिवार की जिम्मेदारी होती है.

नीती गांव में अतिथि देवो भव: की परंपरा हो रही मजबूत.

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नीती गांव के बुजुर्ग बचन सिंह खाती का कहना है कि गांव में पहुंचने वाले किसी भी व्यक्ति को अतिथि देवो भव: का सम्मान दिया जाता है. भारतीय सैनिकों के भी गांव में पहुंचने पर उनके रहने, खाने की समुचित व्यवस्था की जाती है. नीती गांव जोशीमठ से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यहां खाने-पीने के लिए होटल की सुविधा भी नहीं है. ऐसे में यहां आने वाले पर्यटकों के लिए गांव के स्थानीय लोग ही व्यवस्था करते हैं. इसका उल्लेख गांव के रजिस्टर में भी है. पूर्व में बारी निभाने वाले परिवारों के नाम भी वर्ष के हिसाब से रजिस्टर में दर्ज होते रहते हैं.

Last Updated : Jul 7, 2020, 10:43 PM IST

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