देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ शहर को बारिश और बर्फबारी की वजह से दोहरी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बीते दिन हुई बर्फबारी और बारिश के बाद घरों और जमीनों में पड़ी दरारें पहले से चौड़ी होने लगी थीं. वहीं मौसम विभाग ने आगामी 24 और 25 जनवरी को बारिश और बर्फबारी की अलर्ट जारी किया है, जिस कारण जोशीमठ में चल रहे राहत और बचाव कार्यों में दिक्कतें आ सकती हैं. इसके अलावा जोशीमठ में महसूस किए गए भूकंप के हल्के झटकों से भी सरकार चिंतित है.
मौसम विभाग के बारिश और बर्फबारी के अलर्ट ने जोशीमठ को लेकर सरकार और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है. क्योंकि बर्फबारी और बारिश के कारण जोशीमठ में हालात ज्यादा खराब हो सकते हैं. बीते दिनों भी जोशीमठ के सुनील वार्ड में सबसे ज्यादा बर्फबारी हुई थी और इस क्षेत्र में घरों में सबसे ज्यादा दरारें आई हुईं हैं. इसके अलावा जोशीमठ के ऊपरी हिस्से में अच्छी खासी बर्फबारी हुई है, जिससे जोशीमठ के एक बड़े हिस्से को खतरा पहुंच सकता है.
पढ़ें-Joshimath Update: भराड़ीसैंण के MLA हॉस्टल में प्रभावितों को ठहराने पर विचार, दरारों से गुजरेगी बदरीनाथ की यात्रा
जानकार इस बर्फबारी और बारिश को इसीलिए भी ज्यादा खतरनाक मान रहे हैं, क्योंकि बारिश और बर्फबारी के बाद लैंडस्लाइड का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में यदि जोशीमठ के किसी हिस्स में भूस्खलन होता है तो उनक भवनों के लिए ज्यादा खतरनाक साबित होता है, जिनमें दरारें आईं हैं. वहीं पानी के बहाव से घरों और सड़कों में पड़ी दरारें पहले से ज्यादा चौड़ी हो सकती हैं. वहीं जोशीमठ में चल रहे राहत कार्य भी प्रभावित हो सकते हैं.
भू वैज्ञानिक बीडी जोशी की माने तो फिलहाल के हालत में जोशीमठ में बारिश और बर्फ़बारी दोनों बेहद खतरनाक है. अभी जो घर रहने लायक नहीं है, उन पर ज्यादा खतरा है. वहीं, बारिश और बर्फबारी के बाद दरारों से पहाड़ खिसकेगा, जो हर किसी के लिए खतरनाक होगा. बीडी जोशी ने प्रशासन को सुझाव दिया है कि जिस तरह के मौसम विभाग ने बारिश और बर्फबारी की अलर्ट जारी किया है, उसके खतरे से बचने के लिए प्रशासन को आर्टिफिशल नाली तैयार करना होगा. जिससे बारिश का पानी रिहायशी इलाकों में ना जाए.
पढ़ें-Badrinath Kapat Opening: बदरीनाथ कपाट खुलने की पहली प्रक्रिया शुरू, टिहरी राजमहल के लिए तेल कलश का प्रस्थान
जोशीमठ में अध्ययन कर तमाम एजेंसियों के एक्सपर्ट ने पाया है कि जोशीमठ में सालों पहले 50 से अधिक जल श्रोत या नदियां बहती थीं, जो या तो लुप्त हो गईं या फिर उनके ऊपर निर्माण हो गए हैं. ऐसे में हो सकता हो कि जिन जगहों पर ये भू-धंसाव हो रहा है, वहां कोई श्रोत एक्टिव हुआ है. इन सभी जानकारियों को सामने लाने के लिए सर्वे ऑफ इंडिया को जोशीमठ का पुराना नक्शा खोजने के लिए कहा गया है. ताकि ये मालूम हो सके कि जोशीमठ में कहां-कहां कौन सी जलधारा बह रही थी.
आपदा सचिव भी इस बात को मान रहे है कि दो एजेंसी को नक्शा बनाने या पुराना नक्शा तलाशने का काम दिया गया है. ताकि धाराओं के बंद होने का क्या असर पड़ रहा है या पड़ सकता है, इसका अध्यन किया जा सके. जोशीमठ में लगातार जेपी कॉलोनी में फूटी जलधारा से जिस तरह से लगातार पानी बह रहा है, उसके बाद ये भी अनुमान शुरुआती दौर में लगाया जा चुका है कि पानी जोशीमठ में दरारों का बहुत बड़ा कारण है और यही कारण है कि जेपी कॉलोनी की इस जलधारा का मुख्य श्रोत पता करने के लिए भी भू-वैज्ञानिक ऊपरी पहाड़ी का दौरा करके आएं हैं.
पढ़ें-Snowfall: देखनी है 'जन्नत' तो चले आइए उत्तराखंड, देवरिया ताल की खूबसूरती के हो जाएंगे कायल
जोशीमठ में बढ़ रही दरारों से न केवल घरों को नहीं बल्कि अब बदरीनाथ और माणा बॉर्डर जाने वाले इकलौते हाईवे पर भी बड़ा खतरा मंडरा रहा है. यही कारण है कि जिला प्रशासन को लोनिवि के पूर्व इंजीनियर डीसी नौटियाल ने बताया है कि एक बार जोशीमठ के आसपास की सड़कों की भी क्षमता का परीक्षण करवाना बेहद जरूरी है कि वो कितना वाहनों का दवाब झेल सकती हैं. उसके बाद ये तय करना बेहद जरूरी होगा कि जोशीमठ में वाहनों के आने-जाने की भी गतिविधि को देखा या समिति किया जा सके.
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार जोशीमठ को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक कर कामकाज का अपडेट ले रहे हैं. बारिश और बर्फबारी को देखते हुए एनडीआरएफ की कुछ स्थाई टीमें तैनात की जा रही हैं. इसके साथ ही एसडीआरएफ और दूसरे बचाव दलों की भी संख्या बढ़ाई जा रही है. ताकि अगर कोई आपात हालात बनते हैं तो समय रहते बचाव कार्य किया जा सके.