गैरसैंण:भराड़ीसैंण में कोई भी विधानसभा सत्र हो, सभी में इतिहास बन जाते हैं. इस बार के विधानसभा सत्र में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. एक ओर जहां उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी और उनके आश्रितों को 10% आरक्षण देने का विधेयक पास हो गया. दूसरी तरफ विपक्षी विधायकों को निलंबित करने जैसी अभूतपूर्व घटना भी हुई.
चार दिन चला बजट सत्र: गैरसैंण के भराड़ीसैंण में 13 मार्च 2023 से उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र शुरू हुआ था. इस सत्र की अवधि 18 मार्च तक निर्धारित थी. बजट सत्र के पहले ही दिन कांग्रेस विधायकों ने वो विरोध और हंगामा सदन के बाहर और भीतर शुरू किया कि ये घटना उत्तराखंड के विधानसभा के इतिहास में दर्ज हो गई. कांग्रेसी विधायकों के हंगामे से विधानसभा अध्यक्ष बहुत ज्यादा नाराज हुईं.
कांग्रेस के सभी विधायकों को कर दिया निलंबित:भराड़ीसैंण विधानसभा में आयोजित बजट सत्र में कांग्रेस के विधायकों के शोर के आगे सत्ता पक्ष के विधायकों, मंत्रियों की आवाज दबी-दबी सी महसूस हुई. कांग्रेसी विधायकों ने वेल में आकर कागज के गोले फेंके. माइक तोड़ दिया. मेज पर चढ़कर हंगामा किया. इससे विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी के सब्र का बांध ही टूट गया. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष समेत कांग्रेस के सदन में मौजूद सभी 15 विधायकों को सदन की कार्यवाही से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया. हालांकिसत्ताधारी दल के सदस्यों के आग्रह के बाद ही निलंबन वापस हुआ.
विशेषाधिकार हनन की बात कर रहे थे कांग्रेस के विधायक: बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के विधायक विशेषाधिकार हनन पर अपनी बात कह रहे थे. लेकिन उनका अंदाज बहुत आक्रामक था. सदन में कागज के गोले फेंकना, माइक तोड़ना और मेजों पर चढ़कर हंगामा करना विधानसभा अध्यक्ष को नहीं भाया. उन्होंने नेता विपक्ष समेत कांग्रेस के सभी 15 विधायकों को निलंबित कर दिया था. ये उत्तराखंड के राजनीतिक इतिहास की पहली घटना थी.
10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण पास होना ऐतिहासिक:सबसे चर्चित मुद्दा रहा 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का विधेयक पास होना. उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों और उनके उत्तराधिकारियों के लिए विधानसभा में 10% क्षैतिज आरक्षण के विधेयक को पास किया गया. कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की कमेटी ने प्रस्ताव बनाकर दिया था. विधेयक विधानसभा में रखा गया और पारित किया गया. इसे अब राज्यपाल की अनुमति के लिए भेजा जाएगा.
खारिज हुआ था शासनादेश: उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों और उनके उत्तराधिकारियों को 10 फीसदी आरक्षण जरूर मिलता था. लेकिन ये आरक्षण एक शासनादेश से मिलता था. इस शासनादेश को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. नैनीताल हाईकोर्ट से शासनादेश खारिज हो गया था. सीएम धामी की सरकार 10 फीसदी आरक्षण विधेयक पास कर बड़ा काम कर दिखाया.
और भी हैं गैरसैंण के इतिहास:गैरसैंण के विधानसभा सत्र में पहले भी बहुत कुछ हो चुका है. 2014 में हरीश रावत की सरकार ने गैरसैंण में विधानसभा का एक सत्र होना चाहिए ऐसा कहा था. तब के विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने भी इस पर हामी भरी थी. तब तक गैरसैंण में विधानसभा भवन नहीं था. तब टेंट लगाकर विधानसभा का सत्र आयोजित किया गया था. ये एक ऐतिहासिक घटना थी.
तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया:2020 में तत्कालीन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने अचानक गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की थी. वो ऐतिहासिक घटना थी. उससे पहले गाहे बगाहे चुनावों के दौरान गैरसैंण को राजधानी बनाने के मुद्दे उछलते रहते थे. लेकिन चुनाव के बाद ये ये बुलबुले फूट जाते थे. 2021 में त्रिवेंद्र रावत की सरकार में ही गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने का फैसला लिया था.
ये भी पढ़ें: Uttarakhand Politics: गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी को लेकर करण महरा ने धामी सरकार पर साधा निशाना, कही ये बात
बहरहाल इस बार का बजट सत्र पहले 6 दिन के लिए आयोजित होना था. लेकिन कांग्रेस के हंगामे के कारण इसे बजट पास कर चौथे दिन ही समाप्त कर दिया गया. इस पर भी विपक्ष ने काफी सवाल खड़े किए.