चमोली:बधाण की नंदा को वेदनी बुग्याल, दशोली की नंदा को बालापाटा और बंड की नंदा को नरेला बुग्याल में नंदा सप्तमी के अवसर पर जागरो और लोकगीतों के साथ कैलाश विदा किया गया. अब ठीक एक साल के बाद ही नंदा के लोक के लोकोत्सव का आयोजन होगा. नंदा सप्तमी के अवसर पर हिमालय स्थित उच्च बुग्यालो में मां नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा पर विराम लगा और डोलियां अपने-अपने गंतव्य वापस लौट गई. मां नंदा की डोली 6 माह के लिए अपने ननिहाल देवराडा और दशोली की डोली कुरुड मंदिर में श्रदालुओं के लिए रखी जाएगी.
मां नंदा राजराजेश्वरी की डोली पहुंची वेदनी बुग्याल:अपने अंतिम पड़ाव से शुक्रवार सुबह मां नंदा राजराजेश्वरी की डोली गैरोली पातल से वेदनी बुग्याल पहुंची, जहां पहुंचते ही मां नंदा की डोली ने पूरे वेदनी कुंड की परिक्रमा की. उसके बाद मां नंदा की पूजा कर भेंट अर्पित की गई. बाद में मां नंदा को जागरो और लोकगीतों के साथ कैलाश विदा किया गया. इसी बीच श्रद्धालु रोते नजर आए. वहीं, दूसरी ओर दशोली कुरूड की नंदा डोली रामणी गांव से बालपाटा बुग्याल पहुंची, जहां मां नंदा की पूजा करके उन्हें कैलाश के लिए विदा किया गया.
नरेला बुग्याल में संपन्न हुई बंड नंदा की लोकजात:सूर्य भगवान की किरणों और बादलों की लुकाछुपी के बीच सुनहरे मौसम में बंड की नंदा की डोली पंचगंगा से चलकर नरेला बुग्याल पहुंची, जहां पर श्रद्धालुओं नें मां नंदा की पूजा कर उन्हें समौण भेंट की और मां नंदा को जागरों के माध्यम से कैलाश विदा किया. इस दौरान पूरा हिमालय मां नंदा के जयकारे से गुंजयमान हो गया.