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कख रै गे रे नीति, कख रै गे माणा, एक 'श्याम' सिंह पटवरी न कख कख जांणा

थराली के साथ ही जिले की अन्य तहसीलों में राजस्व उपनिरीक्षक की कमी है. जिसके कारण कोरोना काल में यहां नियुक्त राजस्व उपनिरीक्षक को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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थराली में राजस्व उपनिरीक्षकों की कमी

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Published : Jun 3, 2020, 7:37 PM IST

Updated : Jun 3, 2020, 8:16 PM IST

थराली:राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाली पिंडर घाटी यूं तो दशकों से ही सुविधाओं के लिए जूझ ही रही है, मगर कोरोना काल के दौर में यहां परेशानियां और भी बढ़ गई हैं. विभिन्न राज्यों से लौट रहे प्रवासियों को स्कूलों और घरों में क्वारंटाइन किया जा रहा है. जिसकी जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों और राजस्व उपनिरीक्षकों को दी गई है. पिंडर घाटी में पहले से ही राजस्व उपनिरीक्षकों की भारी कमी है.

राजस्व उपनिरीक्षक शासन-प्रशासन और जनता के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करते हैं. पिंडर घाटी की तीन तहसीलों की 18 पटवारी क्षेत्रों में महज 10 पटवारियों की नियुक्ति है. आलम ये है कि एक ही पटवारी के भरोसे 2 से 3 पटवारी क्षेत्र हैं. इन 10 पटवारियों में से भी कई नवनियुक्ति पर हैं. ऐसे में अनुभवी राजस्व उपनिरीक्षकों को भी इनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाना होता है. राजस्व विभाग का आलम ये है कि तीनों तहसीलों में एक भी तहसीलदार की तैनाती नहीं की गई है. थराली तहसील में नायब तहसीलदार को तहसीलदार का प्रभार दे दिया गया है जो तीनों तहसीलों का जिम्मा संभाले हुए हैं.

थराली में राजस्व उपनिरीक्षकों की कमी

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थराली तहसील में कुल 48, नारायणबगड़ में 79 और देवाल में 44 ग्राम सभाएं हैं. जिनमें घेस, वाण, बांक, जुनेर, जाख पट्यो, रतगांव, पार्था सहित दर्जनों गांव दूरस्थ हैं. जहां रेगुलर पुलिस भी नहीं है. यहां भूमि संबंधी कार्यों के अलावा शांति व्यवस्था और कानून का पालन करवाने की जिम्मेदारी भी पटवारियों के भरोसे ही है. ऐसे में कोरोना महामारी के इस दौर में इन राजस्व उपनिरीक्षकों की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ गयी है. एक से अधिक राजस्व क्षेत्रों का जिम्मा संभालने के चलते इन राजस्व उपनिरीक्षकों को तहसील परिसर कार्यालयों में ही बैठना पड़ता है. ऐसे में किसी, घटना, दुर्घटना या अन्य परिस्थितियों में दूरस्थ गांवों तक पहुंचने में ही पटवारियों को घंटों लग जाते हैं.

Last Updated : Jun 3, 2020, 8:16 PM IST

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