चमोली: जिला मुख्यालय गोपेश्वर में बसंत पंचमी के अवसर पर कलम क्रांति साहित्यिक मंच द्वारा कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें कवियों ने बसंत के विभिन्न रंगों और पहाड़ी संस्कृति को अपनी कल्पनाओं के जरिए कविताओं में पिरोया.
इस मौके पर कलम क्रांति मंच की संयोजक व वरिष्ठ कवयित्री शशि देवली ने अपनी रचना 'अंतर्मन में आशाओं का दीप जलाने आई हूं, मैं नई सुबह की नई उम्मीद जगाने आई हूं' पढ़ी. तो वहीं, कवि अरुण किशोर भट्ट ने अपनी कविता 'प्रेम में नब्बे फीसद प्रेमी बस रोता है' पढ़ी. कवयित्री नीलम डिमरी के बोल थे 'देखो तो बसंत आ रहा है मेरे सपनों को साकार कर रहा है' पढ़ी.
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वहीं, सुनील कुमार की रचना ने अपनी रचना 'गौं का गौं खाली ह्वै ग्या', हास्य कवि बृजेश रावत ने अपनी कविता 'मोबाइल' के जरिए श्रोताओं को खूब हंसाया. तो वहीं, राजा तिवारी ने भी अपनी रचना कुछ यूं प्रस्तुत की... 'ख्वाब में मेरे आ कर ख्वाब से जगाती थी वो' तो मनोज तिवारी की कविता के बोल थे... 'कोई बरगद नहीं बनता यूं ही' और भगत सिंह राणा ने अपनी रचना में कहा कि...'रूप बसंत का देखने आना मेरे देश'.
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इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत करने आए उप जिलाधिकारी बुशरा अंसारी ने कहा कि साहित्य समाज का न सिर्फ दर्पण है बल्कि समाज को दर्पण भी दिखाता है. इस लिए एक बेहतर समाज की रचना के लिए साहित्यकारों को जनता की आवाज भी बनना होगा. वहीं, विशिष्ट अतिथि के रूप में आईं पूर्व पालिका अध्यक्ष प्रेम बल्लभ भट्ट ने कहा कि साहित्यकारों को प्रेम रस से ऊपर उठकर क्रांतिकारी रचनाएं भी लिखनी चाहिए.