जोशीमठ में आपदा प्रभावितों ने निकाली आक्रोश रैली. चमोली:जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण एनटीपीसी (National Thermal Power Corporation Limited) द्वारा बनाई जा रही सुरंग को बताया जा रहा है, जिसको लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का आंदोलन जारी है. एनटीपीसी की विष्णुघाट परियोजना को तत्काल बंद किए जाने की मांग को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले प्रभावितों ने आक्रोश रैली निकाली. इस रैली में जोशीमठ नगर को बचाने के लिए नगर क्षेत्र के लोगों और जोशीमठ ब्लॉक के अलग अलग गांवों से हजारों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर एनटीपीसी के खिलाफ प्रदर्शन कर नगरभर में जुलूस निकाला. इसके साथ ही सरकार से जोशीमठ विस्थापन को लेकर स्पष्ट नीति बनाने की मांग की.
आपदा प्रभावितों की रैली में शामिल हुए जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य व सामाजिक कार्यकर्ता इंद्रेश मैखुरी ने जोशीमठ आपदा के लिए एनटीपीसी की विष्णुघाट परियोजना को जिम्मेदार ठहराया है. इंद्रेश मैखुरी ने ईटीवी भारत से कहा कि इसलिए जोशीमठ आपदा प्रभावितों की मांग है कि विष्णुघाट परियोजना को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए. उन्होंने कहा कि हेलंग मारवाड़ी बायपास का काम बंद होना चाहिए.
इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि जोशीमठ आपदा के इतने दिनों बाद भी आपदा प्रभावितों के विस्थापन, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के के लिए सरकार ने कोई भी योजना लागू नहीं की है. ऐसे में उन्होंने जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार त्वरित गति से काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकारी काम कछुआ चाल बंद होना चाहिए. आक्रोश रैली में शामिल महिलाओं ने कहा कि जोशीमठ के आपदा प्रभावितों में एनटीपीसी परियोजना को लेकर भारी आक्रोश है. एनटीपीसी की वजह से आज हम सड़क पर आ गए हैं.
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गौर हो कि पिछले 23 दिनों से जोशीमठ नगर को बचाए के लिए लोग आंदोलन कर रहे हैं. नगर में लगातार भू-धंसाव हो रहा है. प्रशासन के द्वारा अब तक 800 से अधिक घरों को असुरक्षित बताते हुए चिन्हित किया गया है. प्रशासन के द्वारा दर्जनों परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट भी किया गया है लेकिन अभी भी नगर में लगातार दरारें बढ़ रही हैं. लोग नगर के साथ अपने भविष्य को लेकर आशंकित हैं, ऐसे में शासन-प्रशासन की ओर से किए प्रयासों को नाकाफी बता रहे हैं. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारी अतुल सती बताते हैं कि सरकार ने अपनी नीति स्पष्ट नहीं की है. अगर शीघ्र जोशीमठ को लेकर सरकार के द्वारा रुख स्पष्ट नहीं किया गया तो आंदोलन और भी उग्र होगा.
जोशीमठ में 863 घरों में दरारेंःजोशीमठ नगर क्षेत्र में भू-धंसाव के कारण अभी तक 863 भवनों को चिन्हित किया गया है, जिनमें दरारें मिली हैं. इसमें से 181 भवन असुरक्षित जोन में हैं. जबकि, आपदा प्रभावित 282 परिवारों के 947 सदस्यों को राहत शिविरों में रुकवाया गया है. राहत शिविरों में भोजन, पेयजल, चिकित्सा आदि की मूलभूत सुविधाएं प्रभावितों को उपलब्ध कराई जा रही हैं. सार्वजनिक स्थानों, चौराहों और राहत शिविरों के आसपास 20 स्थानों पर नियमित रूप से अलाव की व्यवस्था की गई है.
जोशीमठ प्रभावित परिवारों के तीक्ष्ण एवं पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों, विशेष पुनर्वास पैकेज की अग्रिम धनराशि, सामान ढुलाई और तात्कालिक आवश्यकताओं के लिए एकमुश्त विशेष ग्रांट के रूप में धनराशि दी जा रही है. चमोली जिला प्रशासन के मुताबिक अभी तक 585 प्रभावितों को 388.27 लाख की राहत धनराशि वितरित की जा चुकी है.
एनटीपीसी दे चुका है सफाईःवहीं, एनटीपीसी ने परियोजना और जोशीमठ के धंसने के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया है. एनटीपीसी के मुताबिक, तपोवन विष्णुगाड़ परियोजना से जुड़ी टनल जमीन से एक किलोमीटर से ज्यादा नीचे है. यह टनल जोशीमठ के नीचे भी नहीं है. इससे पहले जारी एक बयान में कहा था कि एनटीपीसी की ओर से बनाई गई टनल जोशीमठ के नीचे से नहीं गुजरती है. यह टनल एक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के जरिए खोदी गई है और वर्तमान में कोई विस्फोट नहीं किया जा रहा है.