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जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति का ऐलान, मांगें पूरी नहीं हुई तो 27 अप्रैल को बदरीनाथ हाईवे करेंगे जाम

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने एक बार फिर सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाला ऐलान किया है. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की तरफ से साफ किया है कि यदि जल्द ही एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना और हेलंग-मारवाड़ी बाईपास परियोजना को रद्द नहीं किया तो वो 27 अप्रैल को बदरीनाथ हाईवे जाम करेगी. इसी दिन बदरीनाथ के कपाट खुलने हैं.

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Published : Apr 5, 2023, 7:55 PM IST

चमोली: जोशीमठ भूधंसाव का मुद्दा उठाने वाले जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने बुधवार पांच अप्रैल को चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो वे 27 अप्रैल से बदरीनाथ हाईवे को जाम कर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. 27 अप्रैल से ही बदरी विशाल के कपाट खुलने जा रहे हैं. यदि जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने ऐसा किया तो जिला प्रशासन और सरकार दोनों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी.

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति (जेबीएसएस) की मांगों में एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना और हेलंग-मारवाड़ी बाईपास परियोजना को रद्द करना शामिल है. जेबीएसएस के संयोजक अतुल सती ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखे पत्र में यह भी मांग की कि प्रभावित लोगों को पर्याप्त मुआवजा मिले और उनका उचित पुनर्वास किया जाए.
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सती ने पत्र में कहा है कि अगर 27 अप्रैल तक यह सब नहीं किया गया तो लोग विरोध में सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे. सती का कहना है कि उन्होंने सरकार से जोशीमठ संकट के निटपने के लिए स्थानीय और जेबीएसएस प्रतिनिधियों की एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का आग्रह किया था, लेकिन सरकार ने उनकी मांग को अनसुना कर जोशीमठ की समस्याओं को और बढ़ा दिया.

सती की माने तो जोशीमठ संकट पर राज्य सरकार की सुस्ती के कारण लोग अधीर और आक्रोशित हो रहे हैं. यदि 27 अप्रैल तक उनकी जायज मांगों पर राज्य सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो जेबीएसएस के पास बदरीनाथ हाईवे पर चक्का जाम करने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा. इससे चारधाम आने वाले यात्रियों को असुविधा हो सकती है.
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पत्र में जेबीएसएस सचिव और प्रवक्ता कमल रतूड़ी के अलावा कुछ अन्य लोगों के भी हस्ताक्षर हैं. इससे पहले पीटीआई से बात करते हुए, सती ने राज्य सरकार के इस मुद्दे से निपटने के तरीके पर भी नाखुशी जताई हैं. उन्होंने कहा कि लोग राज्य सरकार से नाखुश हैं, वे अभी भी बेघर हैं और अस्थायी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. जिन आठ वैज्ञानिक संस्थानों ने विभिन्न कोणों से शहर में धंसने के संकट का अध्ययन किया, उन्होंने अभी तक अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है.

सती ने आरोप लगाया कि जोशीमठ को बचाने के लिए अभी तक कोई कार्यक्रम नहीं बनाया गया है. जेबीएसएस चार महीने से इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहा है, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी जा रही है.

(पीटीआई इनपुट)

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