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सतोपंथ झील पहुंचकर जापानी पर्यटकों ने रचा इतिहास, त्रिदेव ने यहां लगाई थी डुबकी - सतोपंथ झील पहुंचकर जापानी पर्यटकों ने रचा इतिहास

समुद्र तल से 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सतोपंथ झील का दीदार करने के लिए जापानी पर्यटकों का 8 सदस्यीय दल पहुंचा है. यह पहला मौका है, जब कोई दल घोड़े-खच्चरों के साथ सतोपंथ पहुंचा है.

japanese tourists in uttarakhand
जापानी पर्यटक

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Published : Jun 13, 2022, 7:14 PM IST

जोशीमठ:जापानी पर्यटकों के 8 सदस्यीय दल ने समुद्र तल से 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सतोपंथ झील (Uttarakhand Satopanth Lake) पहुंचकर इतिहास रच दिया. यह पहला मौका है, जब कोई दल घोड़े-खच्चरों के साथ सतोपंथ पहुंचा है. इस दल ने वहां पहुंचकर न केवल प्रकृति का दीदार किया, बल्कि वहां पर हवन भी किया. इस जापानी दल के साथ कोई पोर्टर भी नहीं था.

स्थानीय निवासियों और टूर आपरेटरों ने बताया कि इस मार्ग पर आज से पहले कोई पर्यटक या श्रद्धालुओं का दल घोड़े-खच्चर के साथ नहीं गया. इस दौरान जापानी ट्रेकर्स हीरो ने बताया कि वह दुनिया घूम चुके हैं. लेकिन यह इकलौता स्थान है, जहां पर उन्हें ईश्वर के होने का अहसास हुआ और आध्यात्मिक शांति मिली.

बता दें, बदरीनाथ धाम से सतोपंथ की यात्रा दुर्गम मानी जाती है. इस ट्रैक पर एक भी गांव नहीं है. बदरीनाथ धाम से आगे माणा गांव से 24 किलोमीटर पैदल निर्जन पड़ावों से होते हुए जाने वाली इस यात्रा का धार्मिक व पर्यटन के लिहाज से खास महत्व है. इस यात्रा में तीन पड़ावों हैं, उन्हें पार कर सतोपंथ पहुंचा जाता है, यहां से वापसी में दो दिन लगते हैं.

सतोपंथ की मान्यता:मान्यता है कि पांडव इस रास्ते से स्वर्ग गए थे. सतोपंथ से 3 किलोमीटर आगे स्वर्गारोहणी ग्लेशियर है. धार्मिक मान्यता के इस ग्लेशियर में आज भी सीढ़ी देखी जा सकती है, जिसे स्वर्गारोहणी मार्ग कहते हैं. सतोपंथ झील के पास ही अलकापुरी ग्लेशियर है, जहां से अलकनंदा निकलती है.
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सतोपंथ को लेकर मान्यता है कि यहां तिकोनी झील होने के चलते यहां पर ब्रह्मा, विष्णु महेश स्नान करते हैं. जापानी पर्यटकों ने इस झील के किनारे हवन भी किया. कोविड के बाद इस ट्रैक पर पहला विदेशी दल गया है. पर्यटकों ने बसुधारा, चक्रतीर्थ सहित अन्य धार्मिक महत्व के स्थल भी देखे.

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