चमोलीःमॉनसून की बौछार के साथ ही जोशीमठ में नई दरारें पड़ने लगी है. जिससे लोगों की धड़कनें और बढ़ गई है. ताजा दरार सुनील वार्ड में आवासीय भवन और जोशीमठ औली मोटर मार्ग की रिटेनिंग दीवार के बीच पड़ा है. जिससे लोग दहशत में आ गए हैं. वहीं, दरारों ने स्थानीय लोगों और प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है.
जोशीमठ में घरों में पड़ी दरारें जोशीमठ तहसीलदार रवि शाह के मुताबिक, कुछ दिन पहले सुनील वार्ड में आवासीय भवन और जोशीमठ औली मोटर मार्ग की रिटेनिंग दीवार के बीच दरार दिखाई दी थी. जिसके बाद लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों की एक टीम को घटनास्थल पर जांच के लिए भेजा गया था. जब टीम मौके पर पहुंची तो पहले ही स्थानीय लोगों ने दरार को मिट्टी से भर दिया था.
जोशीमठ में सड़कों पर आई थी दरार ये भी पढ़ेंः जोशीमठ भू धंसाव के बाद मानसून बरपाएगा 'कहर'! बाशिदों को अभी से सता रही चिंता, बिगड़ सकते हैं 'हालात' जोशीमठ तहसीलदार रवि शाह ने बताया कि जोशीमठ के हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है. जहां पर ताजा दरारें पड़ी हैं, वहां पर भी टीम नजर बनाए रखेगी. वहीं, ताजा दरार नजर आने के बाद स्थानीय लोग में डर बढ़ गया है. उनका कहना है कि मानसून के चरम में पहुंचने पर भू धंसाव और भी बढ़ सकता है. जिससे कोई अनहोनी भी हो सकती है.
वहीं, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के प्रवक्ता कमल रतूड़ी ने कहा कि सुनील वार्ड में दरारें पहले से ही थीं. अब हाल में हुई बारिश के कारण दरारें और चौड़ी होने लगी है. ताजा दरार विनोद सकलानी के घर के पास पड़ी है. यहां पर एक गड्ढा भी बना है, जो करीबन 6 फुट गहरा है. उनका ये भी कहना है कि जोशीमठ भू धंसाव मामले पर वैज्ञानिकों की अध्ययन रिपोर्ट को 6 महीने बाद भी सार्वजनिक नहीं किया गया है.
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने मांग की है कि वैज्ञानिकों के अध्ययन रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए. ताकि लोगों को पता चल सके कि वे अपने घर खाली करके जहां चले गए हैं, वो सुरक्षित हैं या नहीं. सती का कहना है कि सरकार वैज्ञानिक अध्ययन रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में क्यों नहीं डाल रही है?
जोशीमठ में दरारों की वजह से लोगों को छोड़ना पड़ा घर ये भी पढ़ेंः जोशीमठ आपदा जांच रिपोर्ट की पीएमओ के प्रमुख सचिव ने की समीक्षा, 1 मंजिल निकली मकानों की भार क्षमता बता दें कि बीते साल नवंबर महीने से जोशीमठ में दरारें नजर आने लगी थी. अभी तक जोशीमठ में 868 से ज्यादा घरों में दरारें आ चुकी हैं. इनमें से 181 घरों को जिला प्रशासन ने असुरक्षित घोषित कर दिया था. उनमें रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया. जोशीमठ में 60 परिवार अभी भी राहत शिविरों में रह रहे हैं.
इनपुट: PTI