चमोली:उत्तराखंड के आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां पर रहने वाले लोगों ने फोन पर बात नहीं की है. आजादी से पहले के यह गांव आज भी कई ऐसी सुख सुविधाओं से वंचित हैं. लेकिन यह सपना उत्तराखंड के दो गांवों में आजादी के 72 साल बाद पूरा हुआ है. उत्तराखंड के चमोली जनपद में भारत-चीन सीमा से सटे मलारी घाटी के गांव में पहली बार फोन की घंटी बजने की आवाज सुनाई दे रही है. सालों से यह प्रयास जारी था, लेकिन इस प्रयास को पंख अब जाकर लगे हैं. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में बैठकर भारत-चीन सीमा पर बसे इन गांवों को ऐसी सौगात दी है जिसके बाद ग्रामीण न केवल फोन कॉल के माध्यम से दूर बैठे अपने परिजनों का हालचाल जान रहे हैं बल्कि वीडियो कॉल करके भी उनसे बात कर रहे हैं.
भारत-चीन सीमा क्षेत्र के नीती और मलारी घाटी के गांवों में आजादी के बाद पहली बार टेलीफोन की घंटी बजी है. बदरीनाथ विधायक महेंद्र प्रसाद भट्ट नीति घाटी के जुम्मा और सुकी गांव पहुंचे थे. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और सांसद तीरथ सिंह रावत मोबाइल टावर का वर्चुअल उद्घाटन किया और ग्रामीणों को बधाई दी.
सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि उद्योगपति मुकेश अंबानी से उन्होंने नीति घाटी को संचार सेवा से जोड़ने का प्रस्ताव रखा था. अंबानी ने व्यवसायिक और अपना फायदा न देखते हुए नीति घाटी में मोबाइल संचार सेवा का विस्तार किया है. विधायक महेंद्र भट्ट ने कहा कि घाटी के जुम्मा, जेलम, लांग, तमक, कागा, गरपक, लाता, रेणी, सुराइथोटा, भल्लागांव, फाक्ति गांव संचार सेवा से जुड़ गए हैं.
नीति और मलारी घाटी में लगे मोबाइल टावर. ये भी पढ़ें :मुख्यमंत्री की घोषणा पर पर्दा डाल रहा लोक निर्माण विभाग, लोगों ने दी आंदोलन की चेतावनी
इन गांवों वालों की खुशी का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि अब इन ग्रामीणों को अपने सगे संबंधियों का हाल-चाल जानने के लिए न तो लंबा सफर तय करना पड़ेगा और न ही सैकड़ों किलोमीटर दूर पैदल चलकर मुख्यालय में आकर महीनों-हफ्तों फोन करने का इंतजार करना होगा. इसके साथ हीनीति और मलारी घाटी मोबाइल नेटवर्क से जुड़ने से चीन सीमा क्षेत्र में मुस्तैद भारतीय सेना के जवानों को भी संचार सेवा का लाभ मिलेगा. वहीं, कोरोना संक्रमण के बाद स्कूल बंद होने से मोबाइल नेटवर्क न होने के कारण ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित छात्रों को भी इस सेवा से लाभ मिलेगा, अब छात्र आसानी से ऑनलाइन पढ़ाई कर सकते हैं.