चमोली:नारायणबगड़ ब्लॉक के पंगती गांव में सुबह तड़के बादल फटने के बाद चारों तरफ बर्बादी का मंजर देखने को मिला. बताया जा रहा है कि यहां आज सुबह करीब 5.30 बजे बादल फटने के बाद पहाड़ी से आए मलबे और बारिश ने गांव में भारी तबाही मचाई है. इस घटना में बीआरओ मजदूरों के घरों और झोपड़ियों को नुकसान हुआ है.
मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार तड़के करीब 5 बजे पंती के ऊपरी पहाड़ी पर बादल फटने से उसका मलबा 33 केवी बिजली सब स्टेशन के पास बहने वाले गदेरे में आ गया. जिस कारण ग्वालदम-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग पर पंगती में खड़े दर्जनों छोटे बड़े वाहन मलबे और पानी की चपेट में आ गए. यही नहीं यहां पर डीजीबीआर के मजदूरों के आवासीय अस्थायी कॉलोनी में भी घुस गया. जिससे घरों को काफी नुकसान पहुंचा है.
प्रारंभिक सूचना के अनुसार इस आपदा से भारी नुकसान हुआ है. स्थानीय लोगों के साथ ही पुलिस प्रशासन बचाव एवं राहत कार्य में जुटा हुआ है. वहीं, बीआरओ के द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग को खोलने का काम शुरू कर दिया गया है. थाना अध्यक्ष ध्वजवीर सिंह पंवार ने बताया कि नारायणबगड़ पंगती गांव में सुबह 5:30 बजे बादल फटने की सूचना स्थानीय लोगों ने पुलिस प्रशासन को दी गई. मौके पर पहुंची पुलिस ने घटनास्थल का जायजा लिया. फिलहाल, जनहानि की सूचना नहीं है.
चमोली में बादल फटने से मची तबाही वहीं, चमोली के नारायणबगड़ ब्लॉक में पंगती गांव में बादल फटने की घटना के बाद प्रशासन ने राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया है. बीआरओ के मजदूरों को प्रशासन के द्वारा रसद पहुंचाई गई. घटना में 3 लोग चोटिल हुए थे, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है. वहीं, एसडीआरफ और प्रशासन की टीम मौके पर राहत व बचाव कार्य में जुटी है.
बता दें कि आज सुबह से घाट ब्लॉक में तेज बारिश से नंदप्रयाग घाट मोटरमार्ग भी सेरा गांव के पास मलबा और बोल्डर आने से बाधित है. जिसके चलते सुबह से ही राहगीर सड़क खुलने का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में लोनिवि की टीम सड़क मार्ग को खोलने के कार्य शुरू में जुटी है. सड़क बंद होने से घाट क्षेत्र के 55 गांवों का संपर्क जिला मुख्यलाय से कट गया है.
डीएम हिमांशु खुराना ने बताया कि सुबह तेज बारिश और बादल फटने से बीआरओ मजदूरों की छानियों को नुकसान पहुंचा है, कुछ घर और वाहन भी मलबे की चपेट में आए हैं. घटना में तीन लोगों को हल्की चोटें भी आई थी, जिन्हें इलाज के बाद घर भेज दिया गया है. जो सड़क बंद है, उसे खोलने के लिए लोनिवि की टीम कार्य कर रही है.
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बता दें कि प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से हिमालयी राज्य उत्तराखंड काफी संवेदनशील है. वहीं, बीते दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण यहां जनजीवन अस्त-व्यस्त है और कई संपर्क मार्गों पर लगातार भूस्खलन हो रहा है. कुछ दिनों पहले ही श्रीनगर गढ़वाल में सिरोबगड़ के पास बादल फटने से बड़ी तबाही मची थी. इस दौरान बदरीनाथ हाईवे पर भारी लैंडस्लाइड भी हुआ था, जिसकी चपेट में तीन वाहन आ गए थे.
वहीं, 7 फरवरी 2021 को तपोवन में आई भीषण आपदा के बाद रैणी गांव के पास स्थित ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट के ध्वस्त होने से मलबे में कई लोग जिंदा दफन हो गए थे. यहां तक की भारत चीन सीमा को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण रैणी पुल भी सैलाब में बह गया था. इतना ही नहीं ऋषिगंगा का सैलाब धौलीगंगा में मिलने के बाद भीषण जलप्रलय से पूरी तपोवन स्थित एनटीपीसी की परियोजना को नुकसान पहुंचाया था. इस आपदा में आज भी कई लोगों का पता नहीं चल पाया है.