चमोली: उत्तराखंड में हिमालय के जंगलों में बेशुमार नायाब जड़ी बूटियां मिलती हैं. लेकिन यारसागुंबा (Caterpillar fungus) की तलाश में वहां जाने वाले लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. आम तौर पर हिमालयन वियाग्रा कही जाने वाली यारसागुंबा यौन शक्ति बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है और बाजार में इसकी काफी मांग है.
दुनिया के कई देशों में हिमालयन वियाग्रा के नाम से मशहूर कीड़ा जड़ी (Caterpillar fungus) को सेक्स वर्धक होने के साथ-साथ ट्यूमर, टीबी, कैंसर और हेपेटाइटिस जैसी जानलेवा बीमारियों का इलाज माना जाता है. हालांकि इस बूटी को लेकर किए जा रहे सभी दावों की जांच नहीं हुई है और उन पर वैज्ञानिक शोध आज भी चल ही रहा है. एक अनुमान के मुताबिक कीड़ा जड़ी ने दुनिया भर में करीब 1000 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी कोई 70,000 करोड़ रुपये का सालाना बाजार खड़ा कर लिया है.
ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसी बढ़ती मांग को देखते हुए बड़ी संख्या में लोग इनकी तलाश में पहाड़ों में डेरा जमाए हुए हैं. चमोली के ऊंचाई वाले गांवों के लोग कीड़ा जड़ी की तलाश में बुग्याली क्षेत्रों में हैं. बीते एक माह से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जमीन के अंदर से कीड़ा जड़ी खोज चुके हैं. बारीक नजरों से देखने पर बर्फ के बीच जड़ी का ऊपरी हिस्सा नजर आता है, जिसे बड़ी ही सावधानी से ग्रामीण निकालते हैं.
उत्तराखंड में यारसागुंबा की तलाश में वहां जाने वाले लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. इससे हिमालय के हरे भरे इलाके प्रदूषण का शिकार हो रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ कीड़ा जड़ी उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आर्थिकी का जरिया भी है. भारत में कीड़ा जड़ी का स्थायी बाजार न होने के कारण बिचौलियों के द्वारा बड़े स्तर पर कीड़ा जड़ी की तस्करी भी की जाती है.
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क्या है कीड़ाजड़ी?