चमोलीः कोरोना के चलते भले ही भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने को लेकर देरी हो रही हो, लेकिन बदरीनाथ क्षेत्र के सीमावर्ती गांवों की रौनक वापस लौटने लगी है. लॉकडाउन में छूट मिलने के बाद दूरस्थ गांव नीति, माणा, मलारी, गमशाली, बम्पा, जुम्मा, कैलाशपुर, द्रोणागिरी के ग्रामीण छह महीने के शीतकालीन प्रवास के बाद अपने मूल गांवों की ओर लौटने लगे हैं.
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन में कृषि कार्यों के लिए छूट देने की गाइडलाइन जारी की है. जिसके बाद ये लोग देश की सीमा से लगे अपने गांवों की ओर लौट रहे हैं. अपनी संस्कृति, सभ्यता और विविधता के साथ इन गांवों में निवास करने वाली भोटिया जनजाति को सेना की द्वितीय पंक्ति भी माना जाता है. क्योंकि देश की सीमा पर तैनात जवानों के बाद उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में भोटिया जनजाति के लोग ही रहते है. दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले ये लोग काफी मेहनतकश होते हैं. जो राजमा, आलू, फरड़, चौलाई, मंडुआ, झंगोरा और फाफर के साथ बकरी पालन व ऊनी वस्त्रों का भी उत्पादन करते हैं.