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Protest in Gopeshwar: प्रोफेसर के कथित बयान से नाराज भोटिया समाज सड़क पर उतरा, गिरफ्तारी की मांग

चमोली जिला मुख्यलाय गोपेश्वर में आज भोटिया समाज सड़कों पर उतरा. पूर्व में गोपेश्वर महाविद्याल में तैनात प्रोफेसर के तथाकथित लेख के विरोध में हजारों की संख्या में भोटिया जनजाति के लोग सड़कों पर उतरे. सभी प्रदर्शनकारियों ने आरोपी प्रोफेसर की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की.

Protest in Gopeshwar:
गोपेश्वर में सड़कों पर उतरा भोटिया समाज

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Published : Mar 4, 2023, 10:29 PM IST

Updated : Mar 4, 2023, 11:00 PM IST

गोपेश्वर में सड़कों पर उतरा भोटिया समाज

चमोली: पूर्व में गोपेश्वर महाविद्यालय में तैनात प्रोफेसर भगवती प्रसाद पुरोहित ने भोटिया जनजाति की महिलाओं पर वेब मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट लिखा था. जिसके विरोध में आज चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर में हजारों की संख्या में भोटिया जनजाति के लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा. प्रदर्शन करने वाले भोटिया जनजाति के लोगों ने गलत तथ्य और महिलाओं पर अभद्र लेख लिखने वाले प्रोफेसर भगवती पुरोहित की गिरफ्तारी की मांग की. इसके लिए उन्होंने गोपेश्वर में जुलूस निकालते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दिया.

शनिवार सुबह 11 बजे भोटिया जनजाति के पुरुष, महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सैकड़ों की संख्या में गोपेश्वर में एकत्रित हुए. उन्होंने गोपीनाथ मंदिर होते हुए कलेक्ट्रेट परिसर तक जोरदार नारेबाजी करते हुए जुलूस निकाला. उसके बाद कलेक्ट्रेट परिसर में गेट के बाहर धरने पर बैठ गए. भीड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कलेक्ट्रेट परिसर में आधे लोगों को ही बैठने की जगह मिल पाई और अन्य लोग इधर-उधर खड़े ही रहे. इस दौरान वक्ताओं ने कहा एक पढ़े लिखे व्यक्ति की ओर से भोटिया समाज पर इस तरह की अभद्र टिप्पणी करना बर्दाश्त योग्य नहीं है. उन्होंने कहा उनकी लड़ाई किसी जाति, समाज या क्षेत्र के लोगों से नहीं है. बल्कि उस व्यक्ति विशेष से है जिसने यह कृत्य किया है, उसे हर हाल में गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

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प्रदर्शनकारी भोटिया जनजाति के लोगों ने कहा अगर जल्द आरोपी प्रोफेसर की गिरफ्तारी नहीं होती है तो वह आगामी 13 मार्च से गैरसैंण में आयोजित होने वाले बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेंगे. धरना स्थल पर संयुक्त मजिस्ट्रेट डॉ दीपक सैनी ने आकर प्रदर्शनकारियों से मुख्यमंत्री के नाम भेजा ज्ञापन लिया. ज्ञापन में जल्द से जल्द आरोपी शिक्षक को गिरफ्तार कर बर्खाश्त करने की मांग की गई है.

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क्या है विवाद:10 जनवरी 2023 को दीपक ढौंडियाल नाम के व्यक्ति ने अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर हरिद्वार के एक महाविद्यालय में तैनात चमोली जिला निवासी प्रोफेसर डॉ भगवती प्रसाद पुरोहित का लेख अपलोड किया. जिसमें भोटिया जनजाति कुछ बातें ऐसी थी जिसने पूरे भोटिया समाज को आक्रोशित कर दिया. उस पोस्ट में खासकर भोटिया महिलाओं के खिलाफ काफी आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं. आरोप है कि डॉ भगवती प्रसाद ने व्हाट्सऐप में यह लेख साझा किया था. जिसे दीपक ढौंडियाल के अलावा अन्य लोगों ने भी अपने फेसबुक पर अपलोड कर दिया. 17 जनवरी को भोटिया जनजाति के लोगों ने गोपेश्वर थाने में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने 18 फरवरी को मामले में एफआईआर दर्ज कर दी.

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मामले में प्रोफेसर भगवती प्रसाद ने कहा मेरा इंटरनेट मीडिया में चल रही पोस्ट से कोई लेना-देना नहीं है. मेरा मीडिया ट्रायल कर चरित्र हनन किया जा रहा है. कुछ भी मेरे नाम से सोशल मीडिया में लिखकर मुझे और मेरे परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है. मैंने सोशल मीडिया में अपने नाम से कुछ लिखने की अनुमति किसी को नहीं दी है. पुलिस को भी इस मामले में लिखित सूचना दी गई है.

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मामले के जांच अधिकारी नताशा सिंह ने कहा फेसबुक और व्हाट्सऐप डिटेल मांगी गई है. फेसबुक से जानकारी मिल गई है. जिसके आधार पर दीपक ढौंडियाल को नोटिस भेज दिया गया है. भगवती प्रसाद ने लेख को व्हाट्सऐप पर साझा किया था, जिसे कुछ लोगों ने उसे फेसबुक पर अपलोड किया है. भगवती प्रसाद ने कुछ किताबें भी लिखी हैं, उनका भी अवलोकन किया जा रहा है. मामले में नियमानुसार उचित कार्रवाई की जाएगी.

क्या है भोटिया जनजाति का इतिहास:भोटिया जनजाति के लोग सैकड़ों सालों से चमोली जनपद में तिब्बत (चीन) सीमा से लगे नीती और माणा घाटी के गांवों में निवास करते रहे हैं. यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय तिब्बत से व्यापार होता था. जिसमें नमक और घी का व्यापार प्रमुख था. भोटिया जनजाति के लोगों को तोलछा और मारछा भी कहते थे. लोग आसानी से तिब्बत जाते थे. वहां इसका व्यापार करते थे. भारत-चीन युद्ध के बाद व्यापार बंद हो गया. फिर भोटिया समाज के लोग अन्य व्यवसाय जैसे सरकारी सेवा के अलावा भेड़-बकरियों से ऊन का व्यवसाय व खेतीबाड़ी के व्यवसाय में आने लगे. भोटिया जनजाति के लोग ग्रीष्मकाल में छह महीने अपने मूल गांव में निवास करते हैं. शीतकाल के छह महीने के लिए जनपद के निचले इलाकों में आ जाते हैं. यह परंपरा भी सदियों से चली आ रही है.

Last Updated : Mar 4, 2023, 11:00 PM IST

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