उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

कभी भगवान शिव का निवास स्थान हुआ करता था 'बदरीनाथ धाम' - Chamoli Badrinath Dham

बदरीनाथ धाम दो पर्वत मालाओं के बीच बसा है. जिन्हें नर और नारायण पर्वत  कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने इसी स्थान पर घोर तपस्या की थी.

Badrinath Dham
बदरीनाथ धाम

By

Published : May 15, 2020, 9:46 AM IST

चमोली/देहरादून:धरती पर यदि कहीं वैकुंठ माना जाता है तो वह दिव्य स्थान देवभूमि उत्तराखंड का बदरीनाथ धाम है. जहां नर और नारायण ने वर्षों तक तपस्या की थी. पौराणिक मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि ' जो आए बदरी वो न जाए ओदरी'. इसका तात्पर्य यह है कि जो व्यक्ति जीवन में एक बार बदरीनाथ धाम के दर्शन कर लेता है. उसे दोबारा मां के गर्भ में प्रवेश नहीं करना पड़ता. इन्हीं मान्यताओं से इस धाम की महिमा और बढ़ जाती है.

बदरीनाथ धाम दो पर्वत मालाओं के बीच बसा है. जिन्हें नर और नारायण पर्वत कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने इसी स्थान पर घोर तपस्या की थी. हालांकि बदरीनाथ धाम पहले भगवान शिव का स्थान हुआ करता था. जिसे भगवान विष्णु ने भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती से मांग लिया था. इसके पीछे भी काफी रोचक पौराणिक कथा प्रचलित है. बताया जाता है कि एक बार भगवान विष्णु ने बालक का रूप धारण करके यहां आए. बालक यहां पहुंचते ही तरह-तरह की लीलाएं करने लगा. बालक के राने की आवाज सुनकर मां पार्वती से रहा नहीं गया और वे उसके पास पहुंच गई.

पढ़ें-खुल गए भगवान बदरी विशाल के कपाट, सीएम त्रिवेंद्र रावत ने दी बधाई

मां पार्वती ने सोचा की बालक इस निर्जन जंगल में कहां से आया और जोर-जोर से क्यों रो रहा है? मां पार्वती ने सोचा कि बालक अपने माता-पिता से बिछड़ गया होगा इसलिए रो रहा है. जिसके बाद मां पार्वती बच्चे को घर ले आई. जब भगवान शिव ने बालक को देखा तो वो उन्हें पहचान गए. उन्होंने मां पार्वती से बच्चे को उसी स्थान पर छोड़ने को कहा. लेकिन, मां पार्वती नहीं मानी. कुछ ही देर बाद बालक सो गया. बालक को सोता हुआ छोड़कर मां पार्वती और भगवान शिव जंगल में भ्रमण करने चले गए. कुछ देर बाद जब भगवान शिव और माता पार्वती वापस आए तो उन्हें दरवाजे बंद मिले.

पढ़ें-बदरीनाथ के घृत कंबल से साफ होती है भारत के राज्यों की स्थिति, जानें कई और रोचक जानकारियां

जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती की ओर मुस्कुराते हुए देखा और कहा कि वह बालक कोई और नहीं भगवान विष्णु हैं. जिसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती ने प्रसन्न होकर इस दिव्य स्थान को भगवान विष्णु को दे दिया. साथ ही दोनों केदारनाथ धाम आ गए. इसलिए इस धाम में सच्चे मन से भगवान बदरी-विशाल की उपासना करने से हर मुराद पूरी होती है. ऐसा भक्तों का मानना है. इसलिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए बड़ी संख्या में आते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details