चमोलीः प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट पर विधिविधान और मंत्रोच्चारण के साथ शाम 5:13 शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. इस मौके पर धाम में सैकड़ों तीर्थयात्री बदरी विशाल के दर पर मौजूद रहे. साथ ही मंदिर को गेंदे के फूलों से सजाया गया. वहीं, सोमवार को उद्धव और कुबेर जी की उत्सव मूर्ति योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी.
विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट. रविवार सुबह 3 बजे बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोले गए. जिसके बाद 3:30 बजे से भगवान बदरीनाथ की अभिषेक और महाभिषेक पूजा शुरू हुई. साथ ही गुप्त मंत्रोच्चारण के साथ भगवान बदरीनाथ का आह्वान किया गया. यह धार्मिक प्रक्रिया दोपहर तक चली.
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दोपहर 2 बजे धार्मिक परंपरा के अनुसार रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने माता लक्ष्मी की सखी का वेश धारण कर लक्ष्मी जी की प्रतिमा को बदरीनाथ गर्भ गृह में रखा और माणा गांव की कन्याओं की ओर से निर्मित कंबल पर घी का लेपन कर बदरीनाथ भगवान को ओढ़ाया.
जिसके बाद बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह से भगवान कुबेर जी, गरुड़ जी और उद्धव जी की उत्सव मूर्ति को गर्भ गृह से बाहर लाया गया और कपाट बंद कर दिए गए. सोमवार को आदि गुरु शंकराचार्य, कुबेर जी, गरुड़ जी, उद्धव जी की उत्सव डोलिया योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना होंगी. आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी जोशीमठ स्थित नरसिंह मंदिर में विराजमान होगी.