ज्योतिर्मठ कराएगा वैज्ञानिकों से सर्वे चमोली: जोशीमठ में हो रहे भू धंसाव की आंच अब ज्योतिर्मठ तक पहुंच चुकी हैं. मान्यता अनुसार शंकराचार्य ने आज से 2500 वर्षों पूर्व जिस कल्प वृक्ष के नीचे गुफा के अंदर बैठकर ज्ञान की प्राप्ति की थी. आज उस कल्प वृक्ष का अस्तित्व मिटने की कगार पर हैं. मंदिर के नीचे बने प्राचीन ज्योतेश्वर मंदिर पर भी भू धंसाव के चलते बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं. कभी भी यह ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत ढह सकती हैं. जिसको लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने चिंता जाहिर की है.
ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा वह जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन को लेकर काफी चिंतित हैं. वह कल प्रभावितों के घर-घर पर जाकर वस्तुस्थिति जानेंगे. ज्योतिष्पीठ द्वारा भी देश के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों की टीम बनाकर जोशीमठ नगर क्षेत्र का पुनः सर्वेक्षण करवाया जाएगा.
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बता दें कि पिछले एक साल से जोशीमठ में भू धंसाव की समस्या देखी जा रही थी. जो समय के साथ और भी गहराता चला गया. जिसका नतीजा है कि आज जोशीमठ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. जोशीमठ शहर के लोग यहां से पलायन करने को मजबूर है. जिसको लेकर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दी है. उन्होंने अपनी याचिका में प्रभावितों को सरकार द्वारा अति शीघ्र मदद दिलाने और उनके पुनर्वास की व्यवस्था कराने को लेकर अपील की है.
खतरे में 2500 साल पुराना कल्प वृक्ष वहीं, आपदा की स्थित को देखते हुए सरकार लगातार क्षेत्र पर नजर बनाए हुए है. इस कड़ी में आज सीएम धामी ने जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया. साथ ही स्थानीयों लोगों से मुलाकात की. इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि पीड़ितों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद की जाएगी. सरकार ने प्रभावितों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस और अन्य जगहों पर व्यवस्थाएं की है. साथ ही जो लोग किराये के मकान पर रहेंगे, इसका किराया राज्य सरकार देगी.