थराली: भले ही उत्तराखंड सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. एक ओर जहां सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए प्राथमिकता पर काम कर रही है. वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारी और ठेकेदार मिलकर सरकार को पलीता लगाने में जुटे हैं. ग्रामीण इलाकों में कार्यदायी संस्थाओं की लापरवाही की वजह से सड़कें भ्रष्टाचर की भेंट चढ़ते जा रहे हैं. जिसका एक उदाहरण नारायणबगड़ विकास खंड का नारायणबगड़-चोपता मोटर मार्ग है.
नारायणबगड़-चोपता मोटर मार्ग पर कार्यदायी संस्था पीएमजीएसवाई सुधारीकरण और डामरीकरण का काम कर रही है. ये मोटर मार्ग जो कि 24 किलोमीटर का है इसकी गुणवत्ता बहुत ही निम्नस्तरीय है. यहां न तो डीपीआर के अनुसार काम कराया जा रहा है और ना ही गुणवत्ता का ध्यान दिया जा रहा है. विभाग ने इस मोटर मार्ग पर खर्च करने का एस्टीमेट 18 करोड़ रुपये रखा था. जिसे दोबारा बढ़ा दिया गया है. लेकिन काम की रफ्तार और उसमें लगने वाला मेटेरियल जस का तस हैं. कई बार ग्रामीणों द्वारा शिकायत करने के बाद भी विभाग और ठेकेदार इसकी अनदेखी कर रहे हैं.