चमोलीःकहते हैं अगर सच्चे दिल से चाहो तो कोई राह मुश्किल नहीं होती. चमोली जिले के कर्णप्रयाग ब्लॉक स्थित तेफना गांव में रहने वाले प्रदीप कुंवर ने परंपरागत खेती छोड़कर चंदन का जंगल बनाने की सोची. मेहनत और लगन से प्रदीप ने महज तीन साल में ही अपना सपना पूरा कर लिया. प्रदीप एमए कर चुके हैं. सरकारी नौकरियों के प्रयास में असफल होने के बाद उन्होंने स्वरोजगार को अपनाया और आज पूरे जिलेभर में उनके कसीदे पढ़े जाते हैं.
अपनी जमीन पर चंदन का जंगल उगाने वाले प्रदीप कुंवर की राह आसान नहीं थी. शुरुआत में गांव के लोगों ने उन्हें बेवकूफ समझा, हंसी उड़ाई. कहा कि चंदन का पेड़ तो दक्षिण भारत में मुमकिन है. लेकिन प्रदीप ने इसकी परवाह नहीं की और तीन साल कड़ी मेहनत के बाद उनकी मेहनत रंग लाई और आज उनके पास सफेद चंदन का जंगल है.
तेफना गांव के ग्वाड़ तोक निवासी 34 वर्षीय प्रदीप कुंवर एम.ए (बीएड)है. प्रदीप ने गांव में ही अपनी पुश्तैनी जमीन पर कुछ अलग करने की सोची. प्रदीप के दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न गांव में ही चंदन की खेती कर चंदन का जंगल तैयार किया जाए. दरअसल प्रदीप को जानकारी मिली थी कि बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में चंदन की बड़ी खपत होती है. लेकिन इन दोनों धाम में चंदन की आपूर्ति कर्नाटक से होती हैं. बस फिर क्या था प्रदीप ने चंदन का पेड़ उगाने की ठान ली.