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YOGA DAY: बेरोजगार योग शिक्षकों के छलके आंसू, कहा- हो रहा छलावा

उत्तराखंड राज्य में योग शिक्षक बदहाली के आंसू बहा रहे हैं. राज्य के अधिकृत विश्वविद्यालयों से योगाचार्य का कोर्स कर चुके शिक्षकों को अबतक सरकारी तंत्र में समायोजित नहीं किया गया है.

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Published : Jun 21, 2019, 3:25 PM IST

Updated : Jun 21, 2019, 4:01 PM IST

देहरादून: योग दिवस के मौके पर पूरे विश्व की अगुवाई करने वाले उत्तराखंड राज्य में योग शिक्षक बदहाली के आंसू बहा रहे हैं. राज्य के अधिकृत विश्वविद्यालयों से योगाचार्य का कोर्स कर चुके शिक्षकों को अबतक सरकारी तंत्र में समायोजित नहीं किया गया है. जबकि, कई बार इस विषय पर मंत्रिमंडल की बैठक से लेकर विधानसभा में भी चर्चा हो चुकी है. बावजूद इसके सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है.

योगाचार्यों के लिए नहीं है कोई व्यवस्था.

योग शिक्षक महासंघ के पदाधिकारी राकेश सेमवाल का कहना है कि सरकार के उदासीन रवैये के कारण आज हालात ये हैं कि योग के नाम पर छलावा हो रहा है. योग का पूरा ज्ञान रखने वाले योगाचार्यों के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते हजारों योग शिक्षक बेरोजगार हैं. उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में सरकार योग को महत्व देना चाहती है तो सरकार को सबसे पहले योग की गुणवत्ता और योग शिक्षकों की सुध लेनी चाहिए.

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वहीं, धनौल्टी से विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि ऐसा भी नहीं है कि इस विषय पर कभी किसी ने आवाज नहीं उठाई. बजट सत्र के दौरान विधानसभा सत्र में ये सवाल उठाया गया था. शिक्षा मंत्री से पूछा था कि योग शिक्षकों पर सरकार की क्या वयवस्था है. जिस पर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि योग प्रशिक्षकों को लेकर सरकार में कोई प्रस्ताव नहीं है.

बता दें कि उत्तराखंड में मौजूदा समय मे 15 से 20 हजार योग शिक्षक बेरोजगारी की कगार पर खड़े हैं. योग को प्रति आयुष, शिक्षा, पर्यटन, संस्कृति और तमाम विभाग सिर्फ योग दिवस पर ही अपनी सक्रियता दिखाते हैं. यही कारण है कि सरकार योगाचार्यों की सुध नहीं ले रही.

Last Updated : Jun 21, 2019, 4:01 PM IST

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