देहरादून: योग दिवस के मौके पर पूरे विश्व की अगुवाई करने वाले उत्तराखंड राज्य में योग शिक्षक बदहाली के आंसू बहा रहे हैं. राज्य के अधिकृत विश्वविद्यालयों से योगाचार्य का कोर्स कर चुके शिक्षकों को अबतक सरकारी तंत्र में समायोजित नहीं किया गया है. जबकि, कई बार इस विषय पर मंत्रिमंडल की बैठक से लेकर विधानसभा में भी चर्चा हो चुकी है. बावजूद इसके सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है.
योग शिक्षक महासंघ के पदाधिकारी राकेश सेमवाल का कहना है कि सरकार के उदासीन रवैये के कारण आज हालात ये हैं कि योग के नाम पर छलावा हो रहा है. योग का पूरा ज्ञान रखने वाले योगाचार्यों के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते हजारों योग शिक्षक बेरोजगार हैं. उन्होंने कहा कि अगर वास्तव में सरकार योग को महत्व देना चाहती है तो सरकार को सबसे पहले योग की गुणवत्ता और योग शिक्षकों की सुध लेनी चाहिए.