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रजिस्ट्रेशन ज्यादा-सीटें कम, कॉलेज में एडमिशन के लिए छात्रों को करनी पड़ रही कड़ी मशक्कत

राजधानी देहरादून में पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेजों में करीब 5000 सीटें हैं. जिसके सापेक्ष राज्य में 14 हजार के करीब छात्र अब तक पंजीकरण करवा चुके हैं. राजधानी में सबसे ज्यादा सीटें डीएवी कॉलेज में हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा पंजीकरण भी इसी कॉलेज में हुए हैं.

कॉलेजों में एडमिशन लेना हुआ मुश्किल.

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Published : Jun 27, 2019, 9:33 PM IST

देहरादून:राजधानी देहरादून में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है. प्रदेशभर से 12वीं पास कर बीए, बीएससी और बीकॉम करने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए राजधानी देहरादून के कॉलेजों में एडमिशन दूर की कौड़ी साबित हो रहा है.

दरअसल राजधानी के सभी कॉलेजों में मौजूद छात्रों का पंजीकरण यह बताने के लिए काफी है कि दून के कॉलेजों में मौजूद सीटें इच्छुक एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या से काफी कम हैं. जिसके कारण छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए आस-पास के राज्यों की ओर रुख करना पड़ रहा है.

राजधानी देहरादून में पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेजों में करीब 5000 सीटें हैं. जिसके सापेक्ष राज्य में 14 हजार के करीब छात्र अब तक पंजीकरण करवा चुके हैं. राजधानी में सबसे ज्यादा सीटें डीएवी कॉलेज में हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा पंजीकरण भी इसी कॉलेज में हुए हैं. डीएवी में अब तक 6094 छात्रों ने पंजीकरण करवाए हैं. जबकि यहां सीटों की संख्या महज 3800 है. इसी तरह डीबीएस कॉलेज में पंजीकरण करने वाले छात्रों की संख्या मौजूदा सीटों से 4 गुना अधिक है. डीबीएस कॉलेज में 860 सीटें हैं जबकि अभी तक यहां 3400 छात्र एडमिशन के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं.

कॉलेजों में एडमिशन लेना हुआ मुश्किल.

राजधानी में बात अगर बालिकाओं के लिए मौजूद सीटों की करें तो इनकी संख्या भी कुछ ज्यादा नहीं है. राजधानी के एमकेपी कॉलेज में भी सीटें पंजीकरण के लिहाज से बेहद कम हैं. यहां 1600 छात्राओं ने पंजीकरण करवाया है. जबकि सीटें भी इसके आसपास ही हैं. दून में एसजीआरआर कॉलेज में 2400 छात्रों ने पंजीकरण करवाया है. जबकि यहां सीटें 1500 सीटें ही हैं.

राजधानी देहरादून में एक समय था जब कॉलेजों में एडमिशन को लेकर सीटों के हिसाब से संख्या भरपूर थी. लेकिन अब धीरे-धीरे छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है और सीटों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हो रहा है. जिसके कारण स्कूलों से निकलने वाले छात्रों को कॉलेजों में एडमिशन के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है.

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