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त्रिवेंद्र सरकार के 2 साल पूरे करने पर बोले कर्मचारी- कहीं हरदा की तरह ही न हो जाए डबल इंजन सरकार की हालत

राज्य कर्मचारियों को त्रिवेंद्र सरकार के बनने के बाद से उम्मीदें थी कि पूर्ण बहुमत वाली सरकार में उनकी मांगें पूरी की जाएंगी, लेकिन इसे कर्मचारियों का दुर्भाग्य कहें या सरकार का रवैया जो इन कर्मचारियों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. कर्मचारियों का कहना है कि पूर्वतर्ती हरीश रावत सरकार से वे काफी नाराज थे.

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Published : Mar 11, 2019, 8:05 AM IST

त्रिवेंद्र सरकार ने नाराज कर्मचारी.

देहरादून: प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार 2 साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है. ऐसे में इन 2 सालों में त्रिवेंद्र सरकार की क्या कुछ उपलब्धियां रही हैं इसे लेकर आम जनता में भी रायशुमारी का दौर शुरू हो गया है. साथ ही उत्तराखंड राज्य के कर्मचारी भी सरकार की दो साल की उपलब्धियों के आंकड़े जुटाने में लगे हुए हैं. जिन कर्मचारियों ने दो साल में सरकार की योजनाओं को धरातल पर उतारा वे ही सरकार से नाराज चल रहे हैं, जो समय-समय पर त्रिवेंद्र सरकार के लिए परेशानी भी बन रहे हैं.


राज्य कर्मचारियों को त्रिवेंद्र सरकार के बनने के बाद से उम्मीदें थी कि पूर्ण बहुमत वाली सरकार में उनकी मांगें पूरी की जाएंगी, लेकिन इसे कर्मचारियों का दुर्भाग्य कहें या सरकार का रवैया जो इन कर्मचारियों की मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. कर्मचारियों का कहना है कि पूर्वतर्ती हरीश रावत सरकार से वे काफी नाराज थे. जिसके कारण अंदरखाने कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया गया. परिणामस्वरूप हरदा की सरकार जाती रही. लेकिन अब कर्मचारियों का कहना है कि 2 साल बीत जाने के बाद भी भाजपा सरकार का कार्यकाल निराशाजनक ही साबित हुआ है.


भाजपा ने सरकार बनने से पहले राज्य कर्मचारी सयुंक्त परिषद उत्तराखंड को 22 मांगें पूरी करने का वादा किया था. जिनमें वेतन विसंगति समिति की रिपोर्ट को आगामी मंत्री परिषद की बैठक में पास कराए जाने को लेकर वन विभाग,परिवहन विभाग, वाणिज्य कर विभाग,कोषागार, ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी,ग्रामीण विकास विभाग,कृषि विभाग, उद्यान विभाग,पशुपालन विभाग,बाल विकास विभाग,युवा कल्याण और मत्स्य विभाग आदि कई विभागों की वेतन विसंगतियों को दूर किया जाना था. एसीपी के अंतर्गत प्रोन्नत वेतनमान 10,16, 26 वर्ष में दिए जाने की पूर्ण व्यवस्था को पदोन्नत वेतनमान की सुविधा को बहाल किया जाना, राज्य कर्मचारियों को हेल्थ स्मार्ट कार्ड की कैशलेस सुविधा, पूर्ण रूप से ओपीडी तथा सभी जांचों की सुविधा सहित उपलब्ध कराना, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को पदोन्नत वेतनमान के रूप में 4200 रुपए ग्रेड पे दिया जाना जैसी 22 मांगें शामिल थी. जिनमें अब तक सिर्फ एक ही मांग पूरी हो पाई है.


इन दो सालों में राज्य कर्मचारियों ने कई बार धरना प्रदर्शन, सचिवालय कूच,सीएम आवास कूच और कार्य बहिष्कार किया. कई बार प्रतिनिधि मंडल स्तर की वार्ता भी की कई, लेकिन मामला सिफर ही निकला. जिसके बाद आज भी राज्य कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने खड़े हैं.


राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड के प्रांतीय अध्यक्ष नंद किशोर त्रिपाठी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि चुनाव होने से पहले आचार संहिता के समय एसीपी के अंतर्गत प्रोन्नत वेतनमान 10,16, 26 में दिए जाने की पूर्ण व्यवस्था पर रोक लगा दी गई थी. सरकार आने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा. जिस पर जल्द फैसला लेने की बात कही गई थी. 2 साल बीत जाने के बाद भी मांगें पूरी नहीं हो पाई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सातवें वेतनमान को लेकर जिओ जारी किया है. जिसका राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड स्वागत करता है. उन्होंने कहा कि उनकी मांगें डबल इंजन सरकार आने के बाद भी आज तक पूरी नहीं हो पाई है.
वहीं कैबिनेट मंत्री प्रकाश पन्त ने इस मामले पर बोलते हुए कहा कि सरकार ने राज्य कर्मचारियों से जो वादे किए थे वो सभी पूरे कर दिये गये हैं. पंत ने चुटकी लेते हुए कहा कि मुंह में 32 दांत होते हैं मगर एक दांत टूट जाये तो बाकी 31 तो काम करते ही हैं.

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