देहरादून: देवभूमि की एक ऐसी लड़की जो हॉकी खेलकर ओलंपिक में देश को रिप्रेजेंट करना चाहती थी. ये लड़की अपने कॉलेज के दिनों में एक बेहतरीन हॉकी प्लेयर थी. लेकिन इनकी किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था. साधारण सी दिखने वाली इस लड़की के खेल ने ही उसे बॉलीवुड की दहलीज पर पहुंचाया. जिसके कारण आज उत्तराखंड की ये बेटी बॉलीवुड के चमकते सितारों के बीच एक अलग ही चमक बनाए हुए है. जी हां हम बात कर रहे हैं चक दे गर्ल चित्रांशी रावत की. चित्रांशी रावत से उनके खेल प्रेम से लेकर करियर के बारे में ईटीवी भारत ने की खास बातचीत.
चित्रांशी रावत से खास बातचीत.
बता दें कि फिल्म अभिनेत्री और मॉडल चित्रांशी रावत मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी जिले के सतपुली कस्बे की रहने वाली हैं. इन दिनों चित्रांशी का पूरा परिवार देहरादून में रहता है. बॉलीवुड की ये हॉट ब्यूटी अपने कॉलेज डेज में अच्छी खिलाड़ी रही हैं. अपने इसी खेल के कारण उन्हें किंग खान के साथ चक दे इंडिया में काम करने का मौका मिला. जिसके बाद चित्रांशी देखते ही देखते बॉलीवुड में ऐसे मुकाम पर पहुंच गई जहां वे किसी परिचय की मोहताज नहीं. चक दे इंडिया के बाद चित्रांशी दूरियां, फैशन, तेरे नाल लव हो गया, लक जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में चित्रांशी ने अपने फ्यूचर प्रोजेक्ट के बारे में बात की. चित्रांशी ने बताया कि वे इन दिनों 'आफत' नाम की एक वेब सीरीज के लिए काम कर रही हैं. उनके फैंस इस वेब सीरीज में उनके अभिनय का जलवा देख सकते हैं. उन्होंने बताया कि ये सीरीज पूरी तरह से महिलाओं को समर्पित है. इसके अलावा चित्रांशी रावत ने बताया कि जल्द ही उनके फैंस उन्हें MTV के शो बीसीएल यानी बॉक्स क्रिकेट लीग में क्रिकेट खेलते हुए देख सकेंगे.
अपने देहरादून से मुंबई तक के सफर के बारे में बताते हुए चित्रांशी ने कहा कि हर एक फिल्म अभिनेता या मॉडल की तरह उन्हें भी मुंबई में जरूर स्ट्रगल करना पड़ा, लेकिन देहरादून जैसे एक छोटे मगर मॉर्डन शहर से निकलने की वजह से उन्हें मुंबई में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. उन्हें मुंबई शहर को अपनाने में खासी मशक्कत नहीं करनी पड़ी.
वेब सीरीज और शॉर्ट फिल्म्स के चलन को लेकर चित्रांशी ने कहा कि आजकल के दौर में युवा अपने काम को लेकर काफी जागरूक हैं. जिसके कारण वे लगातार अपने कामों में व्यस्त हैं. उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए शॉर्ट फिल्म या वेब सीरीज से बेहतर कोई विकल्प नहीं है. इसके माध्यम से कम समय में आसानी से सामाजिक समस्याओं से जुड़े संदेश भी आम लोगों तक पहुंचाए जा सकते हैं.