देहरादून: सरकार की एकीकृत कृषि विकास योजना के तहत अब देश के साथ ही पूरे प्रदेश में चयनित ग्रामीण इलाकों में ग्रामीण तकनीक केंद्र बनाया जाएगा. इसके समन्वय की जिम्मेदारी वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने सूबे की हेस्को संस्था को सौंपी है.
गौरतलब है कि इन ग्रामीण तकनीक केंद्रों की मदद से स्थानीय ग्रामीणों को पारंपरिक संसाधनों के उपयोग और फायदों के बारे में जागरूक किया जाएगा. इसके साथ ही वैज्ञानिकों द्वारा इजात की जा रही नई तकनीकों के बारे में ग्रामीणों को बताया जाएगा. जिससे की ग्रामीण विकास के पथ पर अग्रसर हो सकें.
ग्रामीण तकनीक केंद्रों को लेकर हेस्को संस्था के संस्थापक पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि देश के ग्रामीण इलाकों में कई ऐसी पौराणिक तकनीक है, जिसका इस्तेमाल कुछ सालों पहले तक हुआ करता था. लेकिन आज ये तकनीक खत्म होती जा रही है. ऐसे में ग्रामीण तकनीक केंद्रों की मदद से ग्रामीणों को उन पौराणिक तकनीकों के फायदों के बारे में बताया जाएगा. इसके साथ ही वैज्ञानिकों द्वारा इजात की जा रही नई तकनीक से भी ग्रामीणों को रूबरू करवाया जाएगा.
पारंपरिक तकनीक के जरिए ग्रामीण बनेंगे 'धनवान'
बता दें कि प्रदेश के ऐसे कई पारंपरिक संसाधन हैं, जिसे आज ग्रामीण भुला चुके हैं. जैसे गोबर गैस, घराट जैसे ऐसे पारंपरिक संसाधन हैं. पहले ग्रामीण इलाकों में काफी इस्तेमाल होता था लेकिन आज ये सब ना के बराबर दिखते हैं. ऐसे में इन ग्रामीण तकनीकों के मॉडल को विकसित किया जाएगा. इसके साथ ही सामूहिक रूप से इसके उपयोग के लिए ग्रामीणों को प्रेरित किया जाएगा.
बहरहाल, अब देखना ये होगा कि देश के साथ ही प्रदेश के 13 जनपदों में यह ग्रामीण तकनीक केंद्र आखिर कब तक तैयार हो पाते हैं. फिलहाल अगले 3 माह के भीतर इसकी रूपरेखा तैयार कर भावी रणनीति तैयार की जाएगी. इसके लिए दिल्ली में सीएसआईआर संस्थानों और स्वैच्छिक संगठनों की एक अहम बैठक बुलाई गई है.