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पंचायती राज दिवस विशेष: वर्दी न पिस्तौल, काहे की पुलिस भाई!

राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपको 150 साल पुरानी राजस्व पुलिस की व्यवस्था से रूबरू करवाने जा रहा है. जोकि देवभूमि के कई गांवों में आज भी लागू है.

पंचायत राज दिवस

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Published : Apr 24, 2019, 3:21 PM IST

Updated : Apr 25, 2019, 8:08 AM IST

देहरादून: राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपको 150 साल पुरानी राजस्व पुलिस की व्यवस्था से रूबरू करवाने जा रहा है. जोकि देवभूमि के कई गांवों में आज भी लागू है और ये व्यवस्था अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गई थी.

बता दें कि देशभर में 24 अप्रैल को 'राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस' मनाया जाता है. भारतीय संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 के पारित होने का प्रतीक है, जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था. जिसके बाद इस दिन को राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के रूप में मनाया जाता है. जिसकी शुरुआत साल 2010 में हुई थी.

राजस्व पुलिस व्यवस्था.


क्या है राजस्व पुलिस व्यवस्था

साल 1861 में ग्रामीण इलाकों में कानून व्यवस्था सुधारने के लिए अंग्रेजों द्वारा राजस्व पुलिस की व्यवस्था लागू की गई थी. राजस्व पुलिस प्रणाली में प्रत्येक तहसील पर तैनात नायब तहसीलदार को कानूनगो और पटवारी रिपोर्ट करते हैं. पटवारी के साथ एक चपरासी और एक होमगार्ड या पीआरडी जवान पूरे क्षेत्र के जमीन और आपराधिक मामलों को देखता है. पूराने समय से चली आ रही व्यवस्था के चलते पटवारी के पास आज भी न तो हथियार होता है और न ही वाहन या किसी अन्य तरह की कोई संसाधन. केवल 2 से 3 लोगों और एक लाठी के दम पर पटवारी 20 से 30 गांवों की एक पट्टी की जिम्मेदारी सभांलता है.

उत्तराखंड में राजस्व पुलिस

उत्तराखंड के तकरीबन 60 फीसदी भू-भाग राजस्व पुलिस के अंतर्गत आता है और बाकी 40 फीसदी भू-भाग पर नियमित पुलिस कानून व्यवस्था पर नियंत्रण रखती है. उत्तराखंड राज्य में कुल 1216 राजस्व उपनिरिक्षक क्षेत्र है. प्रत्येक राजस्व क्षेत्र के अंतर्गत 20 से 30 गांव की एक पट्टी है.

राज्य में सबसे ज्यादा 234 पटवारी पौड़ी जिले में है. वहीं, अल्मोड़ा में 211, टिहरी में 183, पिथौरागढ़ में 144, उत्तरकाशी में 96, चमोली में 74, चम्पावत में 68, रुद्रप्रयाग में 52 और देहरादून में 39 पटवारी शामिल हैं. हरिद्वार और उधम सिंह नगर में बदलाव हुआ और पटवारी की जगह नियमित पुलिस ले चुकी है और अब पटवारी लेखपाल के रुप में कार्यरत हैं.

राजस्व पुलिस पर समय समय पर उठा सवाल

इस बात में कोई संदेह नहीं है कि राजस्व पुलिस अपने समय में पूरी तरह से सफल थी. लेकिन समय के साथ आधुनिक बदलाव भी हुए. अपराध के बदलते तौर तरीकों ने लाठी वाली इस पुलिस को हर बार नाकाम साबित किया है. 2011 में टिहरी जनपद के गांव में हुई दहेज हत्या के मामले में राजस्व पुलिस के नाकारापन के बावजूद भी ये उसी ढर्रे पर जारी रहा.

हाइकोर्ट का राजस्व पुलिस को हटाने का आदेश

साल 2013 की आपदा के दौरान राजस्व पुलिस के फेलियर को देखते हाई कोर्ट ने 6 महीने के अंदर पूरे राज्य से राजस्व पुलिस के बदले नियमित पुलिस को तैनात करने का आदेश दिया. हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद उत्तराखंड गृह विभाग ने अतिरिक्त अर्थ भार का हवाला देते हुए अपना हाथ पीछे खींच लिए. साथ ही हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को ले गए.

राजस्व पुलिस का भविष्य

राजस्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राजस्व विभाग राजस्व पुलिस को और मजबूत करने की बात कह रहा है. राजस्व विभाग द्वारा राजस्व पुलिस एक्ट को लेकर चर्चा की जा रही है. जिसमें कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाएगा.

राजस्व पुलिस एक्ट में इन विषयों का रखा जाएगा ध्यान-

  • पुलिस कार्य के लिए राजस्व पुलिस को समय-समय पर ट्रेनिंग देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
  • आज के दौर की अपराध की प्रवृत्ति को देखते हुए राजस्व पुलिस को सभी संसाधनों सहित हथियारों से लैस करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए.
  • दूसरे प्रदेशों और अतंराष्ट्रीय सीमाओं से सटे हुए जिलों में तस्करी और अपराध के रोकथाम के लिए विशेष प्रावधान.
  • गम्भीर अपराधों में तत्काल मेडिकल जांच के अलावा तमाम औपचारिकताओं को लेकर स्थिति स्पष्ट की जाए.
  • राजस्व पुलिस द्वारा जांच किए जा रहे आपराधिक मामलों में फोरंसिक जांच के साथ तमाम आधुनिक जांचों का प्रावधान .
Last Updated : Apr 25, 2019, 8:08 AM IST

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