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'आ अब लौटें' को मिला सात समंदर पार वालों का साथ, 'बजरंगी भाईजान' ने पहुंचाया संदेश

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Published : Jul 8, 2019, 8:38 PM IST

Updated : Jul 9, 2019, 3:57 PM IST

ईटीवी भारत के माध्यम से अब प्रवासी उत्तराखंडियों ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का काम किया है. दुबई सहित दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मुसीबत में फंसे लोगों को सकुशल वापस भेजने वाले गिरीश पंत उर्फ बजरंगी भाईजान ने ईटीवी भारत के जरिए सरकार को संदेश दिया है.

ईटीवी भारत को मिला सात समंदर पार रहने वाले 'अपनों' का साथ

देहरादून: पलायन को लेकर ईटीवी भारत द्वारा चलाई जा रही मुहिम 'आ अब लौटें' को लगातार लोगों का साथ मिल रहा है. इसी कड़ी में अब पहाड़ी मूल के एनआरआई भी ईटीवी भारत के साथ इस मुहिम से जुड़ गये हैं. ईटीवी भारत अपने अभियान के तहत उत्तराखंड के अलग-अलग गांवों में जाकर उनके खाली होने की हकीकत के साथ ही वहां से हो रहे पलायन को रोकने के लिए लगातार प्रयासरत है. ऐसे में ईटीवी भारत को दुबई के रहने रहने वाले बजरंगी भाईजान के साथ ही और भी लोगों का सहयोग मिल रहा है.

ईटीवी भारत के माध्यम से अब प्रवासी उत्तराखंडियों ने सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का काम किया है. दुबई सहित दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मुसीबत में फंसे लोगों को सकुशल वापस भेजने वाले गिरीश पंत उर्फ बजरंगी भाईजान ने ईटीवी भारत के जरिए सरकार को संदेश दिया है. गिरीश पंत का कहना है कि सरकार को पहाड़ों में बड़े-बड़े उद्योगों की जगह छोटे कारोबार को बढ़ावा देना चाहिए. जिससे युवाओं और ग्रामीणों को रोजगार मिल सके और उन्हें पलायन न करना पड़े.

ईटी भारत को मिला सात समंदर पार रहने वाले 'अपनों' का साथ

इसी तरह उत्तराखंड के ही रहने वाले चंद्र प्रकाश गैरोला जो दुबई में शिक्षक हैं, उन्होंने भी पहाड़ों से हो रहे पलायन पर सरकार को आड़े हाथों लिया है. चंद्र प्रकाश गैरोला का कहना है की सरकार को पलायन को रोकने के लिए गांवों में शिक्षा और स्वास्थ के हालातों को सुधारने की जरूरत है.

वहीं विदेश में रहने वाले टिहरी निवासी विनोद जाखुरी ने ईटीवी भारत के जरिए लोगों से अपील की है कि बाहर रह रहे लोग 6 महीने में जरूर गांव जायें. ताकि गांव-गदेरों से उनका जुड़ाव बना रहे. साथ ही विनोद ने सरकार से अपील की है कि वे गांवों के हालात सुधारने का प्रयास करें.

बता दें की उत्तराखंड में पलायन के कारण गांव के गांव खाली हो रहे हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक लगभग प्रदेश में अबतक 1700 गांव खाली हो गए हैं. जिनमें रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अपनी तिबारी डंडयाली को छोड़ कर शहरों की ओर रुख कर लिया है.

Last Updated : Jul 9, 2019, 3:57 PM IST

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