देहरादून: देश भर में लोकसभा चुनाव संपन्न हो गये हैं. जिसमें भाजपा प्रचंड बहुमत हासिल कर सरकार बनाने जा रही है. यूं तो उत्तराखंड में लोकसभा की मात्र 5 सीटें हैं, लेकिन केंद्र में सरकार बनाने में उत्तराखंड की ये 5 लोकसभा की सीटें अहम भूमिका निभाती हैं. ये हम नहीं बल्कि साल 2000 के बाद से अभी तक हुए चारों लोकसभा चुनाव इस बात की तस्दीक कर रहे हैं. आखिर प्रदेश की ये पांच लोकसभा सीटें किस तरह से अहम भूमिका निभाती हैं. देखिए ईटीवी भारत की ये खास रिपोर्ट...
उत्तराखंड की राजनीति से कई मिथक जुड़े हुए थे, लेकिन हाल में हुये लोकसभा चुनावों ने प्रदेश की तमाम मिथक को तोड़ दिये हैं. प्रदेश के मिथकों में एक मिथक ये भी है कि जिस भी राजनीतिक दल ने प्रदेश की पांचों सीटों पर जीत हासिल की है केंद्र में उसी की सरकार बनती है. जिसके कारण केंद्र में प्रदेश की लोकसभा सीटों का अपना ही अलग प्रभाव है.
साल 2004 में हुये लोकसभा चुनाव
साल 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद पहली बार साल 2004 में लोकसभा का चुनाव सम्पन्न हुआ. साल 2014 में प्रदेश की पांचों सीटों पर कांग्रेस, भाजपा समेत तमाम अन्य दलों के कुल 54 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे. साल 2004 में सिर्फ कांग्रेस, भाजपा और समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी संसद तक पहुंचने में कामयाब हुये थे. इस चुनाव में एक सीट कांग्रेस, तीन सीट भाजपा और एक सीट पर समाजवादी पार्टी ने कब्जा जमाया था. इस समय प्रदेश में पांचों सीटों पर तीन अलग-अलग पार्टियों के प्रत्याशी जीते थे. जिसके बाद कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई थी.