देहरादूनः नगर निगम प्रशासन भले ही शहर को साफ और सुंदर रखने के लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत ठीक उलट है. राजधानी में मुख्य सड़कों के किनारे खुले और बदबूदार नाले लोगों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं. जो शहर की खूबसूरती को बदरंग कर रहे हैं. वहीं निगम की सुस्त चाल से स्थानीय लोगों और व्यापारियों में खासा रोष है.
राजधानी में सफाई व्यवस्था को लेकर नगर निगम प्रशासन गंभीर नहीं है. गौर हो कि राजधानी के धर्मपुर चौक से विधानसभा की ओर जाने वाली सड़क की तो इस सड़क के दोनों ओर मौजूद खुले नालों से स्थानीय निवासियों और व्यापारियों की परेशानियों को बढ़ा दिया है. स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पिछले 1 साल से ये नाले इसी तरह बह रहे हैं. वहीं पिछले साल चले अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान इन नालों के ऊपर रखे गए सीमेंट के स्लैब को तोड़ दिया गया था, लेकिन तब से लेकर अब तक स्लैब नहीं लगाए गए हैं. जिसकी वजह से आज यह नाले खुले बह रहे हैं और कई बीमारियों को न्योता दे रहे हैं.
यह भी पढ़ेंः सोशल मीडिया में परवान चढ़ रही 'अपना वोट, अपने गांव' मुहिम, मिल रही मिली-जुली प्रतिक्रिया
उन्होंने बताया कि इन खुले नाले की वजह से उनके व्यापार पर भी असर पड़ रहा है. नाले से आने वाली दुर्गंध की वजह से लोग उनकी दुकानों का रुख करना पसंद नहीं कर रहे हैं. इसके साथ ही लोगों में इन खुले नालों में गिरकर चोटिल होने का खतरा भी बना रहता है. वहीं व्यापारियों द्वारा कई बार स्थानीय विधायक के साथ ही नगर निगम और लोक निर्माण विभाग को समस्या से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन समस्या को गंभीरता से न लिए जाने से हालात जस के तस बने हुए हैं.
वहीं ईटीवी संवाददाता प्रगति पचौली ने इस संदर्भ में मुख्य नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे से बात की तो उनका कहना था कि नालों की सफाई को लेकर टेंडर हो चुके हैं. उम्मीद है की अगले सोमवार से नालों की सफाई का कार्य शुरू कर दिया जाएगा. मुख्य नगर आयुक्त ने आगे कहा कि नगर निगम प्रशासन नालों की सफाई का कार्य बरसात से पहले पूरा कर लेगा. लेकिन बात नालों को सीमेंट के स्लैब से ढकने की है तो यह जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग की है.
बरहाल, जिम्मेदारी चाहे किसी भी सरकारी महकमे की क्यों न हो लेकिन सरकारी महकमों की सुस्त चाल का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. वहीं इन सड़कों से आए दिन जनप्रतिनिधि और आला अधिकारी गुजरते रहते हैं, लेकिन उन्हें खुले नाले नहीं दिखाई देते हैं जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं. वहीं स्थानीय लोगों में विभाग द्वारा ठोस कार्रवाई न किए जाने से खासा रोष हैं.