देहरादून: आईजी गढ़वाल की गाड़ी का इस्तेमाल कर करोड़ों की लूटकांड का मामला काफी चर्चा में बना हुआ है. हालांकि इस घटना को अंजाम देने वाले एक दरोगा सहित तीन पुलिसकर्मियों का नौकरी से बर्खास्त होना तय माना जा रहा है. इस चर्चित मामले की जांच कर रही एसटीएफ टीम को आरोपियों से 48 घंटे रिमांड के दौरान लूट की रकम बरामद नहीं हो पायी है. लेकिन, पुलिसकर्मियों के विरुद्ध अपहरण, लूट, सरकारी पद का दुरुपयोग जैसे आरोपों के पर्याप्त साक्ष्य जुटाए जा चुके हैं, जिनके आधार पर तीनों पुलिसकर्मियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना तय माना जा रहा है.
आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ इस तरह की सख्त कार्रवाई को लेकर पुलिस मुख्यालय के आलाधिकारी भी मान रहे हैं कि भले ही लूट की रकम अभी तक बरामद न हुई हो, लेकिन जिस तरह इस संगीन अपराध में घटना के बाकी पर्याप्त सबूत मिले हैं उसके आधार पर पुलिसकर्मियों की आगामी दिनों में बर्खास्तगी होना तय माना जा सकता है.
उत्तराखंड पुलिस पर अब तक का सबसे अनोखा दाग
उत्तराखंड पुलिस पर इससे पहले भी कई संगीन आरोप लगते रहे हैं, लेकिन देश में यह पहला ऐसा मामला है जब आम चुनाव के दौरान चुनाव आयोग की स्टैटिक टीम बनकर अपने सुपीरियर अधिकारी आईजी की सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर पुलिसकर्मियों ने अपहरण, लूट, सरकारी वर्दी और संसाधन का दुरुपयोग करते हुए इस गंभीर घटना को अंजाम दिया, जो काफी सनसनीखेज है.
आईजी की सरकारी गाड़ी पर भी कई गंभीर सवाल
करोड़ों के इस लूटकांड में पहले दिन से ही आईजी गढ़वाल की गाड़ी का इस्तेमाल होना ये सवाल लगातार हवा में तैर रहा है. आखिर कैसे इतने बड़े आलाधिकारी की गाड़ी संगीन घटना में इस्तेमाल की गई है. एलआईयू दरोगा दिनेश नेगी के नेतृत्व में जिस तरह से आईजी की गाड़ी के ड्राइवर हिमांशु उपाध्याय और मनोज अधिकारी द्वारा संगीन घटना को अंजाम दिया है उसके चलते जहां उन पर बर्खास्तगी की तलवार लटकी हुई है, वहीं दूसरी ओर लगातार सवाल यह उठ रहे हैं कि वारदात में इस्तेमाल होने के दौरान घटना को अंजाम देने वाली गाड़ी अगर किसी थाना या चौकी की होती तो ऐसे में उस थाना चौकी को भी इस संगीन घटना में धारा 120 बी साजिशकर्ता के रूप में आरोपी बनना भी तय था.
आरोपियों को सजा दिलाकर विभाग दाग को कम करने की कोशिश करेगा
इससे पहले इस मामले में दरोगा दिनेश नेगी, कॉन्स्टेबल हिमांशु उपाध्याय और मनोज अधिकारी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत के बाद 2 दिन के लिए एसटीएफ ने रिमांड पर लेकर लूट की रकम बरामदगी के लिए भारी मशक्कत की. लेकिन इसमें कोई सफलता हाथ नहीं लगी. हालांकि रिमांड के दौरान एसटीएफ ने तीनों पुलिसकर्मियों को राजपुर रोड स्थित डब्लूआईसी क्लब से लेकर सर्वे रोड तक पूरे क्राइम सीन को री-क्रिएशन किया. उधर इस चर्चित घटना को लेकर यह भी माना जा रहा है कि पुलिस महकमा आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिला कर विभाग के दाग को कुछ हद तक कम करने की कोशिश करेगा.