देहरादूनः भारतीय सैन्य अकादमी आइएमए का 87 साल का गौरवमयी इतिहास हर सैनिक का सीना गर्व से चौड़ा कर देता है. आइएमए ने भारतीय थल सेना को एक से बढ़कर एक नायाब और जांबाज अफसर दिए हैं. वर्ष 1930 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल सर फिलिप चेटवुड की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी जिसके द्वारा जुलाई 1931 में भारतीय सैन्य अकादमी खोलने की सिफारिश की गई.
1 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश शासन काल के तहत देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की स्थापना की गई. अकादमी के पहले सत्र का औपचारिकता उद्घाटन 10 दिसंबर 1932 को तत्कालीन कमांडर इन चीफ फील्ड सर मार्शल चेटवुड ने किया. उन्हीं के नाम से आईएमए मुख्य भवन का नाम चेटवुड बिल्डिंग रखा गया है, जहां पासिंग आउट परेड संपन्न होती है.
8 व 9 के दशक से पहले तक यह रेलवे स्टाफ कॉलेज हुआ करता था. इस जगह पर कॉलेज का 206 एकड़ कैंपस को आईएमए की स्थापना के बाद सभी चीजों के लिए ट्रांसफर कर दिया गया.
सन 1934 में आइएमए से 40 जेंटलमैन कैडेट्स का पहला बैच पास आउट हुआ. 1971 के भारत पाकिस्तान ऐतिहासिक युद्ध के नायक रहे भारत के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ आइएमए से पास आउट होने वाले पहले बैच के कैडेट् थे. इसके अलावा आइएमए के पहले बैच से पास आउट होने वालों में पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष मोहम्मद मूसा और वर्मा देश के सेना अध्यक्ष स्मिथ डून थे.
देश की स्वतंत्रता के बाद भारतीय सैन्य अकादमी की कमान 1947 में ब्रिगेडियर ठाकुर महादेव सिंह को दी गई. 1950 में इसे सुरक्षा बल अकादमी का नाम दिया गया और इसका एक विंग क्लेमेंट टाउन में खोला गया बाद में इसका नाम नेशनल डिफेंस रखा गया.