देहरादूनः अटल आयुष्मान योजना से जुड़े फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद राज्य स्वास्थ्य अधिकरण ने सख्त रवैया अपनाया है. विभाग ने कार्रवाई करते हुए काशीपुर स्थित आस्था हॉस्पिटल के संचालक डॉ. राजीव कुमार गुप्ता के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए हैं. दरअसल गलत तरीके से मरीजों को रेफर कर आयुष्मान योजना के तहत क्लेम लेने वाले काशीपुर के आस्था अस्पताल का अनुबंध निरस्त कर दिया गया है.
अटल आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा करने वालों पर शासन ने की सख्त कार्रवाई. इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए योजना के निदेशक डॉक्टर अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि कुछ निजी अस्पतालों की शिकायत लगातार मिल रही थी, जिसके आधार पर पूर्व में प्रदेश के 6 निजी अस्पतालों को अस्थायी तौर पर निलंबित कर जांच के आदेश जारी किए गए थे.
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निलंबित किए जाने के बाद जांच कमेटी द्वारा रिपोर्ट मांगी गई थी, जिसमें से एक अस्पताल की रिपोर्ट आ चुकी है. उसमें काशीपुर के आस्था अस्पताल से संबंधित रिपोर्ट के आधार पर लगाए गए आरोपों में से आठ आरोप सही पाए गए. इसी क्रम में इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के मुताबिक जो अनुबंध अस्पताल के साथ हुआ था वह अनुबंध समाप्त कर दिया गया है. इसके अतिरिक्त अन्य विधिक अनियमितताएं सामने आने के बाद उस अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं.
दरअसल, मामला यह था कि बीते 2 अप्रैल को अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना के तहत सूचीबद्ध आस्था हॉस्पिटल काशीपुर में एक ही परिवार के 3 सदस्यों को एक ही दिन आस्था हॉस्पिटल में योजना के तहत भर्ती कराने का मामला सामने आया था.
वहीं जांच कमेटी द्वारा प्रमाणों की जांच करने के बाद पता चला कि निम्न बिंदुओं पर अस्पताल ने घोर अनियमितताएं बरतते हुए किस तरह अनुबंध का उल्लंघन करते हुए फर्जीवाड़ा किया.
जांच कमेटी द्वारा रिपोर्ट आने के बाद 9 आरोपों में से आठ सही पाए गए हैं
आस्था हॉस्पिटल काशीपुर की ओर से डॉ. राजीव कुमार गुप्ता ने विगत 18 दिसंबर 2018 को अनुबंध हस्ताक्षरित किया था. अस्पताल को सूचीबद्ध कराने के लिए उन्होंने उल्लेख किया था कि हॉस्पिटल में वो ही अकेले चिकित्सक हैं, जबकि डॉ. राजीव गुप्ता 18 दिसंबर 2018 के पूर्व से ही एलटी भट्ट राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय, काशीपुर में संविदा के आधार पर फुल टाइम एलोपैथिक चिकित्सक हैं. इसलिए डॉ. राजीव गुप्ता द्वारा चिकित्सालय को सूचीबद्ध कराने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र में गलत जानकारी दी गई कि वे आस्था अस्पताल में 24 घंटे उपलब्ध रहने वाले चिकित्सक हैं.
डॉ राजीव गुप्ता एल.डी. भट्ट राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय काशीपुर मे पूर्णकालिक चिकित्सक के तौर पर तैनात थे, ऐसे में उन्होंने स्वयं द्वारा संचालित आस्था हॉस्पिटल काशीपुर में 17 मरीजों को रेफर किया, उन्होंने अपने हस्ताक्षर व राजकीय अस्पताल की मोहर के साथ मरीजों को अपने निजी अस्पताल में रेफर कर गंभीर अनियमितताएं व फर्जीवाड़ा किया है.
उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केला खेड़ा जिला उधम सिंह नगर में कोई भी डॉक्टर तैनात न होने के बावजूद मेडिकल ऑफिसर की मोहर लगाकर 17 मरीजों को रेफर किया, जिसमें से 7 मामलों में आस्था हॉस्पिटल काशीपुर का नाम दर्ज करते हुए 7 मरीजों को रेफर किया गया जो आस्था अस्पताल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केलाखेड़ा द्वारा धोखाधड़ी किये जाने का संदेह उत्पन्न करता है.
वहीं एक ही परिवार के 3 सदस्यों को 30 मार्च 2019 को एक साथ आस्था हॉस्पिटल काशीपुर में एडमिट किया गया. तीनों मरीजों का भौतिक सत्यापन जिला समन्वयक किशन सिंह द्वारा 1 अप्रैल 2019 को किए जाने पर पता चला कि तीनों मरीज अस्पताल में मौजूद ही नहीं हैं.
आस्था हॉस्पिटल को सूचीबद्ध किये जाने की तारीख से लेकर 6 अप्रैल 2019 तक 57 मरीजों को भर्ती करके उनका उपचार किया गया. जबकि दस्तावेजों के अनुसार 9 परिवारों के एक से अधिक सदस्यों का उपचार किया जाना स्पष्ट हुआ है, कुल 57 मरीजों में से 21 मरीज 9 परिवारों में से ही हैं,
एक ही परिवार के कई सदस्यों का एक ही समय में और एक साथ अस्पताल में भर्ती होना अस्पताल को संदेह के घेरे में लाता है.
वहीं जांच के दौरान पाया गया कि आस्था हॉस्पिटल में सूचीबद्ध किए जाने की तारीख से लेकर 6 अप्रैल 2019 तक 57 मरीजों में से 10 मरीजों को एक्यूट गैस्ट्रोएन्टराइटिस विद मोडरेट डिहाइड्रेशन बीमारी के पैकज के तहत और 24 मरीजों का इलाज entric fever पैकेज के तहत किया गया. इस प्रकार कुल 57 मरीजों में से 34 मरीजों का इलाज केवल दो पैकेज के तहत किया जाना अस्पताल की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है.
अस्पताल में सूचीबद्ध किए जाने की तारीख से लेकर 6 अप्रैल 2019 तक 57 मरीजों में से लाभार्थी रहे 2 मरीज कलावती और नईमा को सूक्ष्म अंतराल में ही एक से अधिक बार अलग-अलग पैकेज के तहत भर्ती किया गया जो संदेहास्पद है.
दस्तावेजों के अनुसार मरीज के ट्रीटमेंट डिटेल में छेड़छाड़ करके उपचार के कागजातों को टेंपर किए जाने और उसकी एवज में फर्जी क्लेम प्रस्तुत किए जाने का संदेश भी पैदा होता है.