देहरादून:प्रदेश में हर सरकार पलायन का रोना रोती रही है. पलायन की ये कहानी इसलिए शुरू हुई, क्योंकि युवाओं को रोजगार ही नहीं मिल रहा है. इसलिए लोग लगातार पहाड़ों को छोड़ रहे हैं, लेकिन जो लोग पहाड़ों पर रहे हैं वो आज भी इस आस में हैं कि शायद कभी न कभी तो बहार आएगी. पलायन की इस पीड़ा को जानने के लिए ईटीवी भारत ने देहरादून से महज 30 किलोमीटर दूर बसे कोक्लियाल गांव का रुख किया. यहां कि हकीकत देखकर आप ये ही कहेंगे कि अगर राजधानी के पास के गांवों का ये हाल है तो सुदूर बसे गांवों की क्या स्थिति होगी?
ईटीवी भारत की इस मुहिम में बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल आगे आये. जुबिन ने ईटीवी भारत के साथ मिलकर ये फैसला किया कि वो किसी ऐसे गांव जाएंगे जहां लोग पलायन कर रहे हों. वहां जाकर लोगों से समझेंगे कि आखिर पलायन की वजह क्या है?
ऐसा करते हुए जुबिन ने ईटीवी भारत की टीम के साथ राजधानी देहरादून से मात्र 30 किलोमीटर दूर टिहरी जनपद के धनोल्टी विधानसभा के कोक्लियाल गांव का रुख किया. ये गांव देहरादून से मालदेवता होते हुए धनोल्टी मार्ग पर तकरीबन 30 किलोमीटर दूर है. कोक्लियाल गांव मुख्य मार्ग से तकरीबन 2 किलोमीटर दूर पैदल रास्ते पर है. जुबिन जब यहां पहुंचे तो काफी धूप थी, लेकिन गांव के ऊपर जब पहाड़ी बादलों से ढकी तो मौसम ने कुछ राहत दी. गांव के लोगों की रोती हुई आवाजें बता रही थीं की गांव के लोग किस दर्द से गुजर रहे हैं.
देहरादून से 30 किलोमीटर दूर कोक्लियाल गांव की सबसे बड़ी समस्या ये है की यहां के लोग 25 साल से गांव में सड़क के आने का इंतजार कर रहे हैं. गांव में जाते ही मालूम होता है की सरकार अगर ज़रा भी ध्यान दे तो ये गांव खाली होने से बच सकते हैं. हैरानी की बात ये है की कोक्लियाल गांव के बच्चे 14 किलोमीटर दूर पैदल चल कर स्कूल पैदल जाते हैं. गांव वालों का कहना है की अगर ऐसा ही रहा तो जल्द हम भी नीचे उतर जायेंगे.
गांल वालों के बीच जुबिन नौटियाल.
पहाड़ों में अलग पहचान रखने वाले सीढ़ीनुमा खेत गांव खाली होने के बाद बंजर हो रहे हैं. ये सब राजधानी के बेहद नजदीक हो रहा है और गांव वालों को हर चुनाव में सिर्फ आश्वासन ही दिए जाते हैं. जुबिन नौटियाल ने सरकार से अपील की है की वो इस ओर ध्यान दें, ताकि गांव के लोगों के अच्छे दिन आ सकें.