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राहुल गांधी के 'सस्पेंस' से सीएम त्रिवेंद्र रावत की डगर हुई आसान, जानिए कैसे ? - Congress's defeat in Lok Sabha Elections

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर कांग्रेस में बबाल मचा है. एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर खड़ा होने के लिए जूझ रही है तो वहीं, कांग्रेस के इस नाटकीय घटनाक्रम से उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार राहत में है.

राहुल गांधी का अध्यक्ष विवाद-त्रिवेंद्र सरकार के लिए राहत .

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Published : Jun 1, 2019, 6:16 PM IST

Updated : Jun 1, 2019, 6:29 PM IST


देहरादून: कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए राहुल गांधी और पार्टी नेताओं के बीच चल रहा विवाद भले ही दिल्ली की बात हो, लेकिन इसका सीधा फायदा उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार को मिल रहा है. दरअसल, उत्तराखंड कांग्रेस कि निगाहें राहुल गांधी के अध्यक्ष बने रहने के फैसले पर टिकी हैं. ऐसे में त्रिवेंद्र सरकार निष्क्रिय विपक्ष के चलते राहत महसूस कर रही है.

राहुल गांधी का अध्यक्ष विवाद-त्रिवेंद्र सरकार के लिए राहत .

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राहुल गांधी के अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर कांग्रेस में बबाल मचा है. एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी एकजुट होकर खड़ा होने के लिए जूझ रही है तो वहीं, कांग्रेस के इस नाटकीय घटनाक्रम से उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार राहत में है. मौजूदा परिस्थितियां दिखाती हैं कि उत्तराखंड कांग्रेस संगठन का पूरा ध्यान राहुल गांधी के निर्णय पर टिका हुआ है. ऐसे में फिलहाल उत्तराखंड में सरकार निष्क्रिय हो चुके विपक्ष के कारण आश्वस्त दिखाई दे रही है.

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खास बात यह है कि कांग्रेस का पार्टी संगठन भी यह बात मान रहा है कि जब तक राहुल गांधी को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती तब तक उत्तराखंड में तमाम आगामी कार्यक्रम और कमेटियों के गठन को लेकर कार्रवाई नहीं हो पाएगी. यानी साफ है कि कांग्रेस अभी विपक्ष की भूमिका में नहीं रहेगी. प्रदेश में विपक्ष की निष्क्रियता के कारण लगातार त्रिवेंद्र सरकार को हर मसले पर वॉक ओवर मिलता रहेगा.

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लोकतंत्र में विपक्ष ना हो तो सत्ता पक्ष के लिए राह और भी आसान हो जाती है. कुछ ऐसा ही इन दिनों उत्तराखंड में देखने को मिल रहा है. आइये आपको समझाते हैं कि कैसे उत्तराखंड कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सरकार के लिए डगर बेहद आसान कर दी है और इससे त्रिवेंद्र सरकार को क्या-क्या फायदा होगा.

उत्तराखंड कांग्रेस की राहुल के निर्णय पर टिकी है निगाहें.

  • राहुल का निर्णय आने तक उत्तराखंड में ना तो कमेटियों का गठन हो सकेगा और ना ही आगामी कार्यक्रमों पर कोई निर्णय लिया जाएगा.
  • उत्तराखंड में 2 साल से प्रदेश कांग्रेस कमेटी का नहीं हो पाया है गठन.
  • पुरानी कार्यकारिणी के चलते प्रदेश संगठन और पार्टी पदाधिकारियों में नहीं बन पा रहा समन्वय.
  • उत्तराखंड कांग्रेस संगठन मौजूदा समय में पूरी तरह से बिखरा हुआ दिखाई देता है.
  • आपसी गुटबाजी के चलते नेताओं और कार्यकर्ताओं में बढ़ रही है दरार.
  • कमजोर विपक्ष के चलते त्रिवेंद्र सरकार को फैसले लेने में नहीं आ रही दिक्कतें.
  • विपक्ष कमजोर तो त्रिवेंद्र सरकार हुई और भी मजबूत.

कांग्रेस में अंदरूनी कलह और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का इस्तीफा देने की पेशकश ने भाजपा को भी बोलने का मौका दे दिया है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स के मुताबिक उत्तराखंड कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में भी सामने चुनौती नहीं दे पा रही है, जो कि लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं.

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कांग्रेस की हार के पीछे उसका सबसे बड़ा कारण उसके संगठन की कमजोरी है. अब जब हार हो चुकी है तब भी संगठन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस का बैकअप प्लान तैयार नहीं हो पा रहा है. जो कि कांग्रेस के लिए आने वाले दिनों में खतरे की घंटी साबित हो सकता है.

Last Updated : Jun 1, 2019, 6:29 PM IST

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