देहरादूनः केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखंड के एक मात्र शहर देहरादून को स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया है. ऐसे में लोगों को उम्मीद थी कि राजधानी का तेजी से विकास होगा. लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हो पाया है. करीब दो साल बीत जाने के बाद स्मार्ट सिटी की तर्ज पर शहर में कोई भी सुविधा मौजूद नहीं है.
स्मार्ट सिटी के नाम पर राजधानी में कुछ नहीं हो पाया. वहीं, एक दावा शहर के ट्रैफिक को स्मार्टली ऑपरेट करने का भी था. जिसके तहत देहरादून के सभी चौराहों पर लगी ट्रैफिक लाइट ऑटोमैटिक वर्क करेगी. यानी ट्रैफिक के दबाव को देखकर यह सिग्नल खुद बदलेगी. जिससे ट्रैफिक जाम की समस्या से बचा जा सकेगा. हालांकि, दो साल बीतने के बाद भी यह योजना घरातल पर नहीं उतर पाई है. जिसके चलते स्मार्ट सिटी की तर्ज पर किया गया ये दावा और जमीनी हकीकत कोसों दूर हैं, देखिए ईटीवी भारत का ये रियलिटी चैक.
उत्तराखंड के सबसे तेजी से दौड़ते शहर देहरादून में हर साल तकरीबन 5 लाख छोटे-बड़े नये वाहन सड़कों पर उतर आते हैं. ऐसे में देहरादून शहर में साल दर साल ट्रैफिक की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया है. ऐसे में देहरादून शहर के स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल होने के बाद ये उम्मीद की जा रही थी कि अब तो सरकार के पास ट्रैफिक जाम से निपटने का कोई प्लान होगा और उम्मीद के मुताबिक स्मार्ट सिटी के तहत शहर के ट्रैफिक को सुव्यवस्थित करने के लिए स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल व्यवस्था नगर में लागू होगी. लेकिन जो साल बीतने के बाद भी पूरे शहर भर के ट्रैफिक की हालात बद से बदतर होती जा रही है.
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शहर के मुख्य और सबसे भीड़-भाड़ वाले चौराहों की बात करें तो आज भी यहां दिन भर अव्यवस्थित ट्रैफिक साफ देखा जा सकता है. तो वहीं, स्मार्ट सिग्नल की तो दूर की बात जो ट्रैफिक लाइटें लगी हैं वो भी खराब हैं. कोई ट्रैफिक लाइट में ठीक से काम नहीं करती तो किसी में ठीक से नबंर तक नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में नगर में स्मार्ट ट्रैफिकिंग की बात करना बेमानी सा लगता है.
शहर के 13 मुख्य ट्रैफिक सिग्नलों का हाल
- क्वालिटी चौक - इस चौक पर किसी भी तरह का कोई स्मार्ट सिग्नल नहीं है. किसी भी वक्त कोई भी लाइट जल जाती है. कभी एक तरफ का ट्रैफिक चलता रहता है तो कभी दूसरी तरफ. ऐसे में इस चौराहे पर कई मिनट तक लोगों को इंतजार करना पड़ता है. यहां पर सिग्नल में कई अंक दिखाई ही नहीं देते हैं.
- CMI ट्राई- जंक्शन- यहां पर ट्रैफिक लाइट से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है ना तो कोई ट्रैफिक पुलिस का सिपाही खड़ा होता है और ना ही कोई ट्रैफिक को व्यवस्थित करता है.
- आराघर चौक- इस चौक पर भी ट्रैफिक ट्रैफिक लाइटों के भरोसे नहीं बल्कि, सिविल पुलिस और ट्रैफिक पुलिस को अपना पसीना बहाकर ट्रैफिक को व्यवस्थित करना पड़ता है.
- दून अस्पताल चौक- दून अस्पताल चौक पर भी ट्रैफिक लाइट की कोई खास भूमिका देखने को नहीं मिलती है. ट्रैफिक और सिविल पुलिस के भरोसे ही ट्रैफिक रिडाइरेक्ट किया जाता है.
- लालपुल चौक- लाल पुल चौक पर ट्रैफिक लाइट तो काम करती है. लेकिन स्मार्ट सिग्नल यहां पर भी नहीं है. कई बार एक ही तरफ का ट्रैफिक चलता रहता है तो कभी चौक पर पुलिस कर्मी न होने की स्थिति में जाम जैसी स्थिति होना आम बात है.
- दिलाराम चौक- शहर में अगर सबसे बेहतर किसी चौक पर ट्रैफिक व्यवस्था है. तो उस सूची में हम दिलाराम चौक की व्यवस्था को गिन सकते हैं. देहरादून के दिलाराम चौक की ट्रैफिक लाइट भी ठीक है. नियमित रूप से तीन तरफ से आने वाले ट्रैफिक को व्यवस्थित भी करती है, लेकिन यहां पर भी स्मार्ट सिग्नल जैसी कोई बात नहीं है. सिविल और ट्रैफिक पुलिस के इशारे पर ही ट्रैफिक कंट्रोल किया जाता है.
- प्रिंस चौक-प्रिंस चौक शहर के सबसे व्यस्ततम चौराहों में से एक है. शहर के बीच में होने की वजह से यहां पर ट्रैफिक का सबसे ज्यादा दबाव होता है. यहां वजह है कि यहां पर ट्रैफिक पूरे शहर का सबसे ज्यादा धीमा है, लेकिन इसके बावजूद भी इस चौक में कोई नई सुविधा नहीं है. सालों से उसी पारंपरिक रुप से ट्रैफिक नियंत्रण होता आ रहा है. कोई बत्ती जलती है तो कोई नहीं. कोई अकं पढ़ने में आता है, तो कोई नहीं.
- सहारनपुर चौक- सहारनपुर चौक की पहचान मौजूदा समय से सबसे ज्यादा जूझने वाले चौक में बन चुकी है. इस चौक पर ट्रैफिक व्यवस्था कभी भी ज्यादा समय के लिए स्थाई नही रह पाती है. आप जब भी सहारनपुर चौक जाएंगे तो अपको हर बार एक नई व्यवस्था से माथा पच्ची करनी पड़ेगी. कभी हो सकता है कि आप चौक से अपनी दिशा को ओर सीधे मुड़ जाएं तो हो सकता है कि एक हफ्ते बाद आप इस चौक पर आयें तो आपको 500 मीटर और आगे जाकर फिर वाहन को घुमाकर वापस आना पड़े.
- निंरजनपुर मंडी चौक- पूरे शहर में मात्र इस चौक पर ट्रैफिक के हालात थोड़ा ठीक हैं. ट्रैफिक पुलिस के दावे के अनुसार इस चौक पर स्मार्ट सिग्नल्स लगा दिये गये हैं और देखने से भी लगता है कि इस चौक पर ट्रैफिक का ज्यादा दबाव नहीं है और किसी दिशा में ट्रैफिक न होने पर उस तरफ अनायास लाइट ग्रीन नहीं होती है.
- शिमला बाइपास चौक-इस चौक पर ट्रैफिक लाइट तो जलती हैं, लेकिन लाइटों की हालत बुरी है. बहुत ध्यान से आपको लाइटों को देखना होगा तभी आप आगे बढ़ पाएंगे और अगर आप लाइटों को देखने से चूके तो फिर आप ट्रैफिक में फंसे रह जाएंगे. इसकी दूसरी वजह यह भी है कि ट्रैफिक की जो टाइमिंग आपके सामने चल रही होगी उसे आप समझ नहीं पाएंगे ऐसे में एक मात्र सहारा लाइट का बदलना ही रह जाता है.
- क्रॉस रोड चौक-क्रॉस रोड चौक पर दो तरफ से ट्रैफिक का ज्यादा दबाव है. बाकी तो तरफ से ट्रैफिक का कम दबाव है लिहाजा ट्रैफिक ठीक ढंग से नियंत्रित होता है, लेकिन यहां पर भी व्यवस्था वही पुरानी ही है.
- फुव्वारा चौक नेहरु कॉलोनी-फुव्वारा चौक पर ट्रैफिक लाइट कोई माइने नहीं रखती है. यहां पर ट्रैफिक को नियंत्रित करने का पूरा दबाव सिविल और ट्रैफिक पुलिस के सिपाही के कंधों पर है. लाइट का कोई भरोसा नहीं कभी जलती है कभी नहीं जिसको देखते हुए ट्रैफिक नियंत्रण करने वाला सिपाही अपने हाथ में एक वैकल्पिक लाइट भी रखता है.
- रिस्पना पुल-पूरे शहर की तरफ रिस्पना पुल पर भी ट्रैफिक का वही हाल है. रिस्पना चौक शहर के सबसे व्यस्ततम चौकों में से एक है लेकिन यहां पर ट्रैफिक सिग्नल्स की हालात खराब है. कभी लाइट जलती है कभी नहीं. ट्रैफिक टाइम में अंक भी ठीक नहीं है और यहां पर भी ट्रैफिक नियंत्रण करने वाले कर्मचारियों की अगर थोड़ा सा नजर हटे तो हालात जाम जैसे हो जाते हैं.
वहीं, एस पी ट्रैफिक प्रकाश चंद्र आर्य ने बताया कि स्मार्ट सिटी के तहत पूरे शहर में स्मार्ट सिग्नल लगाये जाने की योजना है. उन्होंने बताया कि अभी स्मार्ट सिग्नल के इंस्टालेशन का कार्य हो चुका है और अब ये टेस्टिंग फेस में काम कर रहा है.
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स्मार्ट सिग्नल के जरिए शहर के चौराहों पर ट्रैफिक को उसके वॉल्युम के आधार पर निर्देशित किया जाता है. यानी चौराहे पर जिस तरफ से ट्रैफिक का दबाव ज्यादा होता है उस तरफ का सिग्नल खुद-ब-खुद ग्रीन हो जाएगा और जिस तरफ से ट्रैफिक नहीं होगा वहां पर रेड लाइट हो जाएगी.
एसपी ट्रैफिक के अनुसार अभी पूरे शहर में केवल एक ही चौराहे, निरंजनपुर मंडी चौराहे पर स्मार्ट ट्रैफिक सिंग्नल लग पाया है, बाकी जगह भी स्मार्ट सिग्नल जल्द ही लगाए जाएंगे, लेकिन कब तक शहर को सुव्यवस्थित ट्रैफिक मिल पाता है ये कोई नहीं जानता है.