अल्मोड़ा: अब तक हमने आपको अपने खास कार्यक्रम 'चुनाव भारत का' में गढ़वाल और नैनीताल लोकसभा सीटों के बारे में बताया. साथ ही हमने आपको बताया कि यहां कि जनता अपने प्रतिनिधियों के बारे में क्या सोचती है. इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे अल्मोड़ा लोकसभा सीट की. साथ ही आपको रू-ब-रू करवाएंगे यहां की जनता के सवालों से.
क्या है सांस्कृतिक नगरी का मूड? चीन और नेपाल की सीमा से सटी अल्मोड़ा लोकसभा सीट अपने अलग मिजाज के लिए जानी जाती है. अल्मोड़ा सीट के चार जिले अपनी ठेठ पहाड़ी संस्कृति के कारण प्रदेश में अलग पहचान रखते हैं. अल्मोड़ा लोकसभा सीट में अल्मोड़ा, बागेश्वर,चंपावत और पिथौरागढ़ जिले की 14 विधानसभाएं आती हैं. इस समय इस सीट पर बीजेपी के अजय टम्टा यहां से मौजूदा सांसद हैं.साल 2009 से यह लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है.
इतिहास1957 में हुए लोकसभा सीटों के परिसीमन के बाद अल्मोड़ा सीट अस्तित्व में आई.1957 से लेकर 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ लहर के दौरान इस सीट पर बीजेपी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी चुनाव जीते.
इस बार फिर से बीजेपी ने अजय टम्टा पर भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने भी अपने भरोसेमंद चेहरे पर दांव खेलकर यहां की चुनावी लड़ाई को और भी रोचक बना दिया है... आइये जानते हैं अल्मोड़ा सीट के बड़े चेहरे कौन-कौन से हैं.
अल्मोड़ा सीट के बड़े चेहरे
- अजय टम्टा- बीजेपी
- प्रदीप टम्टा - कांग्रेस
- सुंदर धौनी(बीएसपी)
- के एल आर्या(यूकेडी)
कुल मिलाकर इस बार 6 प्रत्याशी अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
बात अगर 2014 के जनादेश की करें तो मोदी लहर का असर इस सीट पर भी देखने को मिला. 2009 में हार का स्वाद चखने वाले अजय टम्टा को इस बार यहां से बड़ी जीत मिली. जिसके बाद अजय टम्टा को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिली और उन्हें कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया.
बात अगर 2014 में मतदाताओं की करें तो यहां कुल 12 लाख 54 हजार 328 मतदाता थे. जिनमें 6 लाख 56 हजार 525 मतदाताओं ने वोट डाला था. जिनमें 3 लाख 12 हजार 965 पुरुष मतदाता थे, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 3 लाख 43 हजार 560 थी.
इस सीट के इतिहास पर अगर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि टिहरी गढ़वाल की तरह ही अल्मोड़ा सीट पर भी कांग्रेस और बीजेपी का ही कब्जा रहा है. मौजूदा समय में भी इस सीट पर बीजेपी का वर्चस्व है. यहां की 14 विधानसभा क्षेत्रों में से 11 बीजेपी के विधायक काबिज हैं. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि कांग्रेस लोकसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी के तिलिस्म को तोड़ने में कामयाब रहती है या फिर एक बार फिर से.