देहरादून: उत्तर प्रदेश के समय से ही उत्तराखंड में अधिकारियों की पोस्टिंग सजा के तौर पर देखी जाती रही है लेकिन अलग राज्य उत्तराखंड बनने के बाद भी अधिकारियों की यह मानसिकता खत्म नहीं हो पा रही है. ताजा मामला पीसीएस अधिकारी गौरव चटवाल का भी सामने आया है जो युवा अधिकारी होने के बावजूद पहाड़ पर सेवा देने को लेकर असमर्थता जता चुके हैं.
उत्तराखंड में पीसीएस अधिकारी गौरव चटवाल का पहाड़ पर पोस्टिंग न लेने का कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई आईएएस और पीसीएस अधिकारियों ने पहाड़ पर पोस्टिंग मिलने के बाद तैनाती नहीं ली. दरअसल तबादलों को लेकर उत्तराखंड में अफसरों की पहली च्वाइस मैदानी जिले ही होते हैं.
ज्यादातर अधिकारी इन्हीं जिलों में तैनाती पसंद करते हैं. कई अधिकारी ऐसे हैं जो अपने कार्यकाल का अधिकतर समय मैदानी जिलों में ही बिताकर रिटायरमेंट तक पहुंचे हैं. खास बात यह है कि न केवल पीसीएस अधिकारी बल्कि कई आईएएस अधिकारी भी पहाड़ों की तरफ रुख करने को तैयार नहीं है.
यह बात सही है कि उत्तराखंड में राजनेताओं की कमजोरी के चलते अफसरशाही हमेशा हावी रही है. पिछली सरकार में भी एक मौका ऐसा आया जब तबादलों की सूची जारी होने के बाद कई आईएएस अधिकारियों ने नई तैनाती लेने से साफ इंकार कर दिया.