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2019 में बना पिता-पुत्र और शिष्य का त्रिकोण, जानें- गढ़वाल लोकसभा सीट का पूरा गणित - पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट

इस समय गढ़वाल लोकसभा पर बीजेपी का कब्जा है और मेजर जरनल भुवन चंद्र खंडूड़ी यहां से सांसद हैं. उन्होंने 2014 में तत्कालीन कांग्रेस के कद्दावर नेता हरक सिंह रावत को बड़े अंतर से हराया था.

गढ़वाल लोकसभा सीट का सियासी समीकरण.

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Published : Apr 4, 2019, 6:49 PM IST

Updated : Apr 4, 2019, 7:32 PM IST

देहरादून: देशभर में चुनावी चकल्लस के साथ चुनावी वादों और दावों का शोर है. राजनीतिक दल चुनाव की चुनौती से निपटने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. शह और मात के इस खेल में हर कोई अपनी-अपनी बाजीगरी दिखा कर बहुमत का ताज अपने सिर पर सजाना चाहता हैं. सत्ता, सियासत और सीटों के गुणाभाग से लेकर चुनावी समीकरणों से ईटीवी भारत आपको रू-ब-रू करवाएगा.

गढ़वाल लोकसभा सीट का सियासी समीकरण.

इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे गढ़वाल लोकसभा सीट की. इस समय गढ़वाल लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है और रिटा. मेजर जरनल भुवन चंद्र खंडूड़ी यहां से सांसद हैं. उन्होंने 2014 में तत्कालीन कांग्रेस के कद्दावर नेता हरक सिंह रावत को बड़े अंतर से हराया था.

गढ़वाल लोकसभा में चार जिलों की 14 विधानसभाएं आती हैं.

गढ़वाल लोकसभा में शामिल चार जिले-

  • चमोली
  • पौड़ी
  • रुद्रप्रयाग
  • टिहरी गढ़वाल

बावन गढ़ों वाली यह सीट हिंदुओं के पवित्र तीर्थ बदरीनाथ से शुरू होकर केदारनाथ के साथ ही सिखों के पवित्र हेमकुंड साहिब से होते हुए मैदान की ओर उतरती है. तराई में रामनगर व कोटद्वार पहुंचकर समाप्त होती है.

पढ़ें-राज दरबार से जनता दरबार तक...टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट का पूरा गुणा-भाग

बात करें गढ़वाल सीट की तो 1557 में हुए परिसीमन के बाद ये सीट अस्तित्व में आई. इस सीट पर अमूमन बीजेपी और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. ये सीट शुरू से ही सैनिक बाहुल्य सीट मानी जाती है. आजादी 1952 से 1977 तक इस सीट पर लगातार कांग्रेस का कब्जा रहा. 1977 में इंदिरा गांधी के खिलाफ लहर के दौरान कांग्रेस को यहां हार का मुंह देखना पड़ा और जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा यहां से चुनाव जीते..

आइये जानते हैं गढ़वाल सीट से कब कौन सांसद रहा-


कब कौन रहा गढ़वाल का सांसद

साल पार्टी सांसद का नाम
1952 कांग्रेस भक्त दर्शन
1957 कांग्रेस भक्त दर्शन
1962 कांग्रेस भक्त दर्शन
1967 कांग्रेस भक्त दर्शन
1971 कांग्रेस प्रताप सिंह नेगी
1977 जनता पार्टी जगन्नाथ शर्मा
1980 जनता पार्टी (सेकुलर) हेमवती नंदन बहुगुणा
1984 कांग्रेस चंद्र मोहन सिंह
1989 कांग्रेस चंद्र मोहन सिंह
1991 बीजेपी भुवन चंद्र खंडूड़ी
1996 कांग्रेस सतपाल महाराज
1998 बीजेपी भुवन चंद्र खंडूड़ी
1999 बीजेपी भुवन चंद्र खंडूड़ी
2004 बीजेपी भुवन चंद्र खंडूड़ी
2007 बीजेपी तेज पाल सिंह रावत
2009 कांग्रेस सतपाल महाराज
2014 बीजेपी भुवन चंद्र खंडूड़ी

17वीं लोकसभा के चुनावों में गढ़वाल सीट पर मुकाबला बेहद ही रोचक होने वाला है. रोचक इसलिए क्योंकियहांइस बार कांग्रेस के प्रत्याशीहैं मनीष खंडूड़ी जो निवर्तमान सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी के बेटे हैं. वहीं, दूसरी ओर बीजेपी ने प्रत्याशी के तौर पर तीरथ सिंह रावत को उतारा है जो भुवन चंद्र खंडूड़ी के शिष्य माने जाते हैं. इनके अलावा 7 और प्रत्याशी चुनावी में मैदान में हैं...आइये नजर नजर डालते हैं गढ़वाल सीट के बड़े चेहरों पर.

गढ़वाल सीट के बड़े चेहरे

पार्टी उम्मीदवार
मनीष खंडूड़ी कांग्रेस
तीरथ सिंह रावत बीजेपी
शांति प्रसाद भट्ट यूकेडी

गढ़वाल सीट पर मतदाताओं की करें तो साल 2104 में इस सीट पर कुल 12,69,083 मतदाता थे, जिनमें पुरुषों की संख्या 6 लाख 52 हजार 891 थी, जबकि महिला वोटर्स का आंकड़ा 6 लाख 16 हजार 192 था.

गढ़वाल सीट पर साल 2014 में मतदाता

कुल- 12,69,083

  • पुरुष- 6,52,891
  • महिला- 6,16,192

भौगोलिक कारणों की वजह से यहां पर शहरीकरण की रफ्तार काफी धीमी है,जिसके कारण इस संसदीय क्षेत्र की ज्यादातर जनता ग्रामीण इलाकों में निवास करती है. यहां पर अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 18.76 फीसदी है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.13 प्रतिशत है. बात अगर इस बार होने वाले चुनावों की करें तो इस बार गढ़वाल सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 13,37,306 लाख है. जिनमें पुरुषों की संख्या 6,65,589 हैं जबकि महिलाओं की संख्या 6,38,050 है.

2019 में मतदाताओं की संख्या

कुल-13, 37, 306

  • पुरुष- 6, 65, 589
  • महिला- 6, 38, 050

2019 में होने वाले मतदान के लिए कुल 2253 पोलिंग बूथ बनाए गये हैं. चुनाव आयोग लगातार मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए नये-नये प्रयास कर रहा है जो लोकतंत्र की मजबूती के लिए एक सराहनीय कदम है.

सैनिक बाहुल्य सीट कही जाने वाली गढ़वाल लोकसभा में आने वाले चुनावों में 'महाभारत' देखने को मिलेगा. इस सीट पर पिता, पुत्र के साथ ही शिष्य चुनावी मैदान में है. जहां 'पिता' प्रचारक की भूमिका में होंगे तो वहीं शिष्य और पुत्र चुनावी समर के योद्धा के रूप में एक दूसरे के आमने सामने होंगे. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि रिटायर्ड मेजर की इस हॉट सीट पर कौन उनका उत्तराधिकारी बनता है.

Last Updated : Apr 4, 2019, 7:32 PM IST

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