बागेश्वर: नाघरमाजिला गांव में 45 परिवारों के लिए आज तक कोई पेयजल योजना नहीं बन पाई है. 'हर घर नल से जल' योजना के तहत एक वर्ष पूर्व में पाइप लाइन तो बिछा दी गयी, लेकिन आज तक गांव में पानी नहीं पहुंच पाया है. ग्रामीण हर रोज 2 से 3 किमी सफर तय कर पानी का इंतजाम करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों का ज्यादातर समय इतनी दूर से पानी ढोने में खर्च हो रहा है. इससे नाघरमाजिला गांव के ग्रामीण बहुत परेशान रहते हैं.
पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं नाघरमाजिला के ग्रामीण, शादी और शुभ कार्यों में होते हैं परेशान
वैसे तो उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों के ज्यादातर गांवों में पानी की समस्या है. लेकिन बागेश्वर के नाघरमाजिला गांव में लंबे समय से पानी की समस्या बनी हुई है. इस कारण लोगों को पानी के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है. यही नहीं पानी की समस्या को देखते हुए कई ग्रामीण पलायन कर चुके हैं. शादी-ब्याह में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है.
नाघरमाजिला गांव में महिलाएं दो से तीन किमी दूर से पानी ढोती हैं. यहां शादी-ब्याह या अन्य शुभ कार्यों में सबसे बड़ी चुनौती पानी की होती है. कांडा तहसील मुख्यालय से मात्र 4 किमी की दूरी पर स्थित नाघरमाजिला गांव के 45 परिवारों के लिए आजतक कोई पेयजल योजना नहीं बन पाई है. इससे ग्रामीणों सहित महिलाओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. सरकार की महत्वाकांक्षी 'हर घर नल से जल' योजना के तहत एक साल पहले पाइप लाइन बिछाई गई है, लेकिन पानी का कोई अता-पता नहीं है.
गांव की महिलाओं ने बताया कि सबसे अधिक दिक्कत पानी की ही होती है. शादी और दूसरे शुभ कार्यों में लोगों को चिंता खाद्य सामग्री की होती हैं, लेकिन हमें पानी की होती है. गांव में वर्षों से यही स्थिति बनी हुई है. बच्चों को पढ़ाने की बजाय सिर्फ पानी का ही ढुलान करना पड़ता है. पानी की समस्या की वजह से गांव के कई परिवार पलायन भी कर चुके हैं, इसके बावजूद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है. 10 मार्च को उत्तराखंड में नई सरकार बनेगी. ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार उनकी समस्या को सुनेगी.