बागेश्वर: उत्तराखंड राज्य बने हुए 20 साल का वक्त हो चुका है. लेकन सीमान्त जिलों के गांवों में अभी भी लोगों को मोटर मार्ग की सुविधा नहीं मिल पई है. गांव से आने-जाने के लिए लोगों को खड़ी चढ़ाई और ढलान पार करनी पड़ती है. ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर शासन से प्रशासन तक कई बार गुहार लगाई, लेकिन अब तक समस्या जस की तस बनी हुई है.
बता दें कि सीमा गोलना ग्राम पंचायत का राजस्व गांव है, जहां 60 परिवारों के गांव में सड़क सुविधा नहीं होने से पलायन बढ़ रहा है. वहीं, अभी तक करीब 20 परिवार गांव छोड़कर अन्यत्र जा चुके हैं. बाकी परिवारों के युवा सदस्य भी महानगरों में रोजगार कर रहे हैं. गांव में अधिकांश सेवानिवृत्त सैनिक और बुजुर्ग हैं. गांव में रोजमर्रा के सामान लाने, बच्चों को स्कूल जाने और अन्य कार्यों के लिए लोगों को रोजाना मुख्य सड़क तक पांच किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है. गर्भवती महिलाओं, बीमारों और पेंशनर्स बुजुर्गों को सड़क तक लाना ग्रामीणों के लिए मुख्य चुनौती है. पहाड़ी पर बसे गांव से डोली पर बैठाकर नीचे की ओर लाने और चढ़ाई में ले जाने में खतरा उठाना पड़ता है. स्कूल जाने वाले बच्चों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ता है.